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इस कार्य से जुड़ी मंजू बिष्ट बताती हैं कि वह गिलोय और तुलसी व अन्य जड़ी-बूटियों को स्थानीय स्तर पर ही इकत्र करते हैं. रोजाना 5-5 के समूह में महिलायें आकर चाय की पैकिंग करती हैं और डिमांड के मुताबिक़ चाय की सप्लाई की जाती है.
देश भर में है पहाड़ वाली हर्बल-टी की डिमांड
कोरोना के समय में हर्बल टी की मांग को देखते हुए इन महिलाओं ने गिलोय और तुलसी (Giloy and Basil) वाली हर्बल टी को दिल्ली,चेन्नई समेत देश के कई हिस्सों में सप्लाई किया. कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए इम्युनिटी बूस्टर (immunity boosters) के तौर पर देश भर में हर्बल टी की मांग तेज हुई. गिलोय और तुलसी की चाय इस समय बेहद डिमांड में है. अल्मोड़ा के हवालबाग में महिलाओं ने पिछले दो माह में दो लाख से अधिक की की हर्बल टी बेच दी. ये महिलायें आस-पास के गांवों से गिलोय और तुलसी सहित अन्य हर्बल जड़ी-बूटियों को इकट्ठा करती हैं इसके बाद इन्हें प्रोसेस करके बाजार में उतारा जाता है. आजीविका परियोजना के समन्वयक दिनेश पंत बताते हैं कि हर्बल टी की मांग अल्मोड़ा में ही नहीं देश के कई राज्यों से पहाड़ की हर्बल-टी की मांग हो रही है. कोलकाता, चेन्नई दिल्ली सहित कई जगहों पर हर्बल-टी की सप्लाई की जा चुकी है.
सप्लाई से डिमांड है बहुत जयादा
इस कार्य से जुड़ी मंजू बिष्ट बताती हैं कि वह गिलोय और तुलसी व अन्य जड़ी-बूटियों को स्थानीय स्तर पर ही इकत्र करते हैं. रोजाना 5-5 के समूह में महिलायें आकर चाय की पैकिंग करती हैं और डिमांड के मुताबिक़ चाय की सप्लाई की जाती है. उनका कहना है कि संकट के इस समय में भी इस काम से महिलाओं को घर में ही रोजगार भी मिला है. स्थानीय निवासी प्रेमा बिष्ट का कहना है कि वो लोग आपस में समन्वय बनाकर हर्बल टी को पैंकिग करते है इसके साथ ही मांग के मुताबिक़ चाय की सप्लाई करने की कोशिश की जा रही है लेकिन पिछले दो महीनों में हर्बल चाय की मांग इतनी ज्यादा हो गई है कि वो लोग उतनी आपूर्ति ही नहीं कर पा रही हैं, फिर भी पूरी कोशिश की जा रही है. संकट में भी रोजगार का अवसर निकाल लेने वाली महिलाएं इस काम को और अधिक बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं.
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