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UBSE Uttarakhand board outcome 2020: पिता की मौत के बाद घरों में झाड़ू-पोछा करके बेटियों को पढ़ा रही है शैला रमोला. बेटी सुजाता रमोला के 91.Eight प्रतिशत मार्क्स ने सबका ध्यान खींचा है.
किराए के कमरे में रहती है सुजाता
मूल रूप से टिहरी के लंबगांव की रहने वाली सुजाता अपनी मां और बहन के साथ देहरादून में एक छोटे से कमरे में किराए पर रहती हैं. उसके सुजाता के पिता होटल में काम करते थे लेकिन 2014 में उनका स्वर्गवास हो गया था. इसके बाद सुजाता की मां शैला ने बेटी की पढ़ाई के लिए लोगों के घर में झाड़ू-पोछा लगाना शुरू किया ताकि यहां रहकर उसे पढ़ा सकें.
आज शैला की यह मेहनत रंग लाई है और उनके दर्प से चमकते उनके चेहरे पर इसे महसूस किया जा सकता है. शैला बताती हैं कि उनकी आर्थिक स्थिति देखकर उन लोगों ने भी मदद का हाथ आगे बढ़ाया जिनके जिनके घर में वह साफ-सफ़ाई का काम करती हैं. इसके अलावा सुजाता की टीचर्स ने भी मदद की. शैला इस मौके पर उन सबका धन्यवाद भी करती हैं.
सिविल सर्विसिस में जाना चाहती है सुजाता
शैला बताती हैं कि बोर्ड एग्ज़ाम के समय सुजाता अपनी पढ़ाई के साथ ही अपनी 5 साल की छोटी बहन की देखभाल भी करती थी. अपनी मेहनत और प्रतिभा के दम पर सुजाता देहरादून में टॉप 10 बच्चों की लिस्ट में जगह बनाने में सक्षम हो आई है. उसे 12वीं में 91.8 % अंक आए हैं.
सुजाता कहती हैं कि वह सिविल सर्विसिस में जाना चाहती हैं. उसकी मेहनत और प्रतिभा को देखकर लगता है कि वह अपने सपने ज़रूर पूरी करेगी. अगर वह अपनी मां के संघर्ष को याद भी रखेगी तो एक अच्छी अधिकारी भी साबित होगी. न्यूज़ 18 की सुजाता और शैला को बहुत-बहुत बधाई.
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