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साड़ी कारोबारी शाहबाज हुसैन (Shahbaz Hussain) कहते हैं कि साड़ी कारोबारी के चेहरे मुरझा चुके है. क्योंकि एक तरफ कोरोना काल (Corona Epidemic) में साड़ियों की बिक्री न के बराबर रह गयी है.
व्यापार 25 प्रतिशत तक रह गया है तो दूसरी तरफ कोरोना की चेन को तोड़ने के लिए बनारसी साड़ी व्यवसाय को 15 दिन की बंदी जरूरी बताया जा रहा है. बनारसी साड़ी पूरी दुनिया में अलग चमक बिखेरती है. इस पर भी चीन के कोरोना वायरस का ग्रहण लग गया है. जानकारी के मुताबिक 1200 करोड़ से अधिक का बनारसी वस्त्र उद्योग का कारोबार इस समय प्रभावित है. कारोबारियों को विदेशों से आर्डर मिलने बंद हो गए हैं.
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60 प्रतिशत से अधिक ऑर्डर कैंसिल हो गये है. साड़ी का व्यापार 25 प्रतिशत तक रह गया है, तो वहीं कोरोना वायरस का कहर बढ़ता ही जा रहा है इसलिए वाराणसी वस्त्र उद्योग संघ ने 20 जुलाई से छह अगस्त तक बंद कारोबार पूरी तरह से बंद रखने का निर्णय लिया है. रेशम इंडिया के मालिक और राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित निर्यातक मकबूल हसन ने बताया कि कोरोना संक्रमण बढ़ने के कारण ये निर्णय लेना पड़ा.
बुनकरों की हालत बदतर
साड़ी कारोबारी शाहबाज हुसैन कहते हैं कि साड़ी कारोबारी के चेहरे मुरझा चुके है. क्योंकि एक तरफ कोरोना काल में साड़ियों की बिक्री न के बराबर रह गयी है. तो फिर से एक बार व्यापार बंद हो चुका है. तो वहीं सबसे ज्यादा निराश बुनकर है उनके करघे जो हमेशा चलते थे आज वो थम से गये है. करघों में सन्नटा है उन्हें कम नहीं मिल रहा है वो सरकार से मदद की गुहार लगा रहे है.
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