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कानपुर कांड (Kanpur Case) को अंजाम देने वाले दुर्दांत आरोपी विकास दुबे (Vikas Dubey) के एनकाउंटर पर आम लोग राजनेताओं की प्रतिक्रिया से इत्तफाक नहीं रखते हैं. कानपुर के लोगों का मानना है कि विकास दुबे के साथ यही होना चाहिए था, लोगों ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा वह इंसान नहीं राक्षस था.
उसका यही हश्र होना चाहिए था
बता दें कि कानपुर कांड का मुख्य आरोपी विकास दुबे गुरुवार को उज्जैन के महाकाल मंदिर से अरेस्ट हुआ था. उसके जघन्य कृत्य को लेकर लोगों में पहले से ही बेहद आक्रोश था लेकिन जब उसने पकड़े जाने के बाद कहा था कि वह सीओ व अन्य शहीद पुलिस के जवानों के शवों को जला कर सबूत नष्ट करना चाहता था. उसके कबूलनामे के बाद लोगों में उसको लेकर नफरत और ज्यादा बढ़ गई थी. समाजसेवी राजेश कुमार कहते हैं कि विकास जैसे अपराधियों का यही हश्र होना चाहिए. वह लगातार अपराध कर रहा था और कानूनी खामियों का फायदा उठा कर अपना साम्राज्य बढ़ा रहा था. जो व्यक्ति शहीद पुलिस के जवानों के शव को जलाना चाहता हो, उसके प्रति किसी भी प्रकार की सहानुभूति नहीं रखनी चाहिए यह समाज के दुश्मन हैं.
उज्जैन में कबूला था अपना गुनाहउज्जैन में गिरफ्तारी के बाद विकास दुबे ने अपना बड़ा गुनाह कबूल किया था. उज्जैन में विकास ने कबूला है कि वह शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा से नफरत करता था. पूछताछ में उसने स्वीकारा कि देवेंद्र मिश्रा की हर गतिविधि के बारे में पुलिस के लोग ही हमें सूचना देते थे. यहां तक कि विकास दुबे के बारे सीओ देवेंद्र मिश्रा कोई व्यक्तिगत कमेंट भी करते थे, तो उसकी भी जानकारी विकास को हो जाती थी. विकास ने गिरफ्तारी के बाद पुलिस के सामने कानपुर कांड को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे किए थे.
सीओ देवेंद्र मिश्रा थे टारगेट
उसने पूछताछ के दौरान यह कबूला है कि उसने सीओ देवेंद्र मिश्रा की हत्या नहीं की है. उसके लोगों ने देवेंद्र मिश्रा को मार दिया. विकास दुबे ने पुलिस के समक्ष कहा है कि सीओ देवेंद्र मिश्रा अक्सर मेरे पैर पर कमेंट करते थे. मेरा एक पैर खराब है, इसलिए सीओ कहते थे कि मैं उसका दूसरा पैर भी ठीक कर दूंगा. पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विकास दुबे का सीओ देवेंद्र मिश्रा से कई बार विवाद हुआ था. विवाद के दौरान कहासुनी भी हुई थी. उसका कहना था कि आस-पास के थानों में तैनात पुलिस कर्मियों ने मुझे जानकारी दी थी कि सीओ देवेंद्र मिश्रा मेरे खिलाफ हैं.
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विकास ने पूछताछ के दौरान यह कबूला था कि मुझे पहले ही पुलिस की छापेमारी के बारे में खबर मिल गई थी. मुझे जो खबर थी, उसके अनुसार पुलिस भोर में पहुंचने वाली थी, लेकिन पुलिस छापेमारी के लिए रात को ही पहुंच गई. उसने बताया था कि मारे गए पुलिसकर्मियों के शवों को इकट्ठा कर लिया था लेकिन जलाने का मौका नहीं मिला और ये लोग भाग निकले. कानपुर के ही व्यापारी विजय प्रताप कहते हैं कि जो लोग विकास दुबे की मौत पर आंसू बहा रहे हैं. वह भी समाज के दुश्मन हैं. क्योंकि उस अपराधी ने सिर्फ हिंसा के जरिए लोगों को दबाया है. पुलिस ने ठीक कार्रवाई की.
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