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सवाल- three जुलाई से पुलिस के ऊपर जो दबाव बना हुआ था अब कितना रिलीज हो गया है?
जवाब – देखिए, पुलिस पर हमेशा काम का प्रेशर रहता है. यह दुर्भाग्य पूर्ण घटना थी. हमारे लोग धोखे से मारे गए. अगर पहले से तय रहता कि युद्ध होगा तो रणनीति बनाई गई होती. हो सकता है कि हमारे साथियों से कुछ चूक हुई हो, लेकिन सामान्यतया सिविल पुलिस पर ऐसा अटैक नहीं होता. यूपी पुलिस का एक गौरवशाली इतिहास रहा है. सबसे कम नक्सल एक्टिविटी यूपी में होती है. पंजाब के आतंकवाद को भी मात दी गई है. तो ये जो छोटे-मोटे गैंगस्टर हैं इनसे डील करने के लिए यूपी पुलिस पूरी तरह सक्षम है. इसमें भी जो अभियुक्त हैं उन्हें अकाउंट फ़ॉर कराना है. गिरफ्तार करना है. हमारा ध्येय यही है कि हम उन्हें कानूनी तौर से डील करें. साक्ष्य जमा करें और कानूनी तौर से उन्हें सजा दिलवाएं.
सवाल- मुख्य अभियुक्त विकास दुबे तो मुठभेड़ में मारा गया. क्या आपको लगता है कि ऐसा होने से बहुत जानकारियां मिलने से रह गयीं ?जवाब- बहुत सारी चीजें ऐसी हैं जिसका ट्रेल जैसे रहता है जैसे अवैध संपत्ति, उनके संबंध इत्यादि. इन सब का ट्रेल रहता है और एविडेंस कोई लेकर नहीं जा सकता. जो लोग बचे हैं उन्हें सजा दिलाएंगे.
सवाल- विकास दुबे के पूरे नेक्सस के खुलासे के लिए क्या कोई डेडीकेटेड टीम बनाई जाएगी?
जवाब- अभी तो इसको राजपत्रित अधिकारी देख रहे हैं. आगे शासन का, पुलिस महानिदेशक महोदय का जैसा आदेश होगा उसे देखा जाएगा. यदि जांच का दायरा और बढ़ाना होगा और ज्यादा अधिकारियों को लगाना होगा तो जो निर्देश मिलेंगे उस हिसाब से डिसाइड होगा.
सवाल- मध्य प्रदेश में पकड़े जाने के बाद क्या यूपी पुलिस विकास दुबे से कुछ पूछताछ कर पाई क्योंकि उसके पकड़े जाने और मारे जाने के बीच 24 घंटे से भी कम का फासला रहा?
जवाब- हमारी टीम जो इसमें इन्वॉल्व रही है, हो सकता है उन्होंने बातचीत की हो. अगर बातचीत हुई होगी तो वह रिपोर्ट आएगी और वैसे भी किसी के कहने का जो इतना बड़ा गैंगस्टर है, क्या भरोसा. वह गलत चीजें भी बता सकता है और सही चीजें भी. उसके द्वारा कही गई बातों को हम पिंच ऑफ सॉल्ट लेंगे और उसे परखने के बाद आगे की कार्रवाई करेंगे.
सवाल- MP पुलिस से कुछ लीड मिल पाई क्योंकि उन्होंने पकड़े जाने के बाद पूछताछ की होगी?
जवाब– एमपी पुलिस के किसी भी केस में वह वांछित नहीं था. उन्होंने केवल डिटेन किया था और हमको कागजों पर विकास दुबे को दिया था. हमारा लक्ष्य यही था कि हम पूछताछ कर सकें और अपने गायब वेपन्स को रिकवर कर सकें, लेकिन इससे पहले ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना हो गई.
सवाल– पुलिस के कितने वेपन अभी गायब हैं?
जवाब- हमारे कुल 5 हथियार गायब हुए थे जिसमें से तीन हमें मिल गए हैं, लेकिन एके-47 और इंसास राइफल अभी भी गायब है. इनकी बरामदगी के लिए पुलिस टीम जी जान से लगी है. हम इस मामले को अंतिम परिणति तक ले जाएंगे.
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सवाल– पुलिस पार्टी पर जो इतना दुर्दांत हमला हुआ, क्या विकास दुबे का मोटिव पता चल पाया कि ऐसा क्यों किया?
जवाब – यह तो बहुत ही जघन्य और दर्दनाक घटना थी. क्योंकि अब घटना हो गई है, हम इस घटना के तार-तार निकालेंगे और दोषियों को मुकम्मल सजा दिलाएंगे.
सवाल- विकास दुबे को सपोर्ट कर रहे पुलिसकर्मियों की किस तरीके से जांच हो रही है?
जवाब- विवेचना के दौरान सभी पहलू देखे जाएंगे. हमारे दो लोगों को ऑलरेडी जेल भेजा जा चुका है और कोई एविडेंस आता है तो उसे आगे भी देखा जाएगा.
सवाल- एक होता है कि पुलिस कोई एक्शन कानून के तहत करें लेकिन उसके ऊपर पब्लिक सेंटीमेंट का कभी-कभी बहुत दबाव रहता है?
जवाब– हम लोग लीगल कार्रवाई करते हैं. हमारे ऊपर जितनी भी संस्थाएं हैं हम सब के प्रति जवाबदेह हैं. हम हर कार्य को कसौटी पर कसते हैं और सही निकलने पर ही उस पर अमल करते हैं. हम सभी संस्थाओं को जवाब देंगे.
सवाल– एनकाउंटर मामले में अभी 12 नामजद आरोपी पकड़ से दूर हैं. उनकी गिरफ्तारी का कितना बड़ा चैलेंज है या पुलिस के मारे डर के वह खुद ही तो सरेंडर नहीं कर देंगे?
जवाब- यह सब चीजें नहीं हैं. हमने कहा कि हम उन्हें गिरफ्तार करेंगे. हम विकास दुबे को भी कोर्ट में पेश करते. हमारा उद्देश्य लीगल तरीके से इनको सजा दिलाना है. यह कोशिश करेंगे कि कोई बचे ना. इनको भी गिरफ्तार करेंगे.
सवाल- जो कानपुर के अफसर हैं उनकी जवाबदेही कब तय होगी?
जवाब– जब चीजें चल रही हैं तो अभी कोई किसी चीज पर जंप करने की कोई जल्दी नहीं करनी चाहिए. सभी चीजें सेट जगह पर हैं, फिर कोई ऐसा लैप्स होगा तो सिस्टम कार्रवाई करेगा.
सवाल- विकास दुबे का घर क्यों तोड़ा, क्या यह जरूरी था?
जवाब– लोकल पुलिस को सूचना मिली थी कि घर में हथियारों का जखीरा हो सकता है. क्योंकि इस तरीके की घटना पहले कभी नहीं हुई थी. ऐसे में मकान को सर्च किया गया और वहां से बम और विस्फोटक सामग्री बरामद हुई. इतने लोग होते हैं पुलिस कभी किसी का क्या घर तोड़ती है. क्यों तोड़ेगी.
सवाल– बिकरु गांव में हुए इनकाउंटर में पुलिस पर किन-किन हथियारों से गोलियां चलाई गई थी?
जवाब– कई तरीके के हथियार इस्तेमाल किए गए थे. इसमें 315 बोर राइफल और 30 स्प्रिंगफील्ड रायफल से फायर किया गया था. धारदार हथियारों से भी हमले किए गए थे. हमारे पुलिसकर्मियों को 12 बोर के छर्रे भी लगे मिले.
सवाल– जिन हथियारों से पुलिसकर्मियों का कत्ल किया गया क्या वे सभी बरामद हो गए?
जवाब – राइफल बरामद हुई है. कुछ कट्टे बरामद हुए हैं और खोखे भी बरामद हुए हैं.
सवाल– आप अपने अधीनस्थों को क्या मैसेज देंगे क्योंकि कहीं ऐसा ना हो कि एनकाउंटर और अनाप-शनाप होने लगे?
जवाब – लाखों लोग गिरफ्तार होते हैं उसमें से कितने पर्सेंट मुठभेड़ में मारे जाते हैं. एनकाउंटर की कोई पॉलिसी नहीं है ना तो स्टेट की और न विभाग की, लेकिन यदि कोई भागता है तो पुलिस को जवाब देना पड़ता है. हम लोग कभी इसके पक्ष में नहीं है कि मुठभेड़ की जाए और मुठभेड़ की नहीं जाती, मुठभेड़ हो जाती है.
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