[ad_1]
अखाड़ा परिषद(Akhil Bhartiya Akhara Parishad) ने महर्षि परशुराम की प्रतिमा लगाये जाने को लेकर सियासी दलों में छिड़ी वर्चस्व की जंग को लेकर अपनी कड़ी नाराजगी जतायी है. साधु-संतों की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने देवी-देवताओं, ऋषियों -मुनियों और अवतारी महापुरुषों को जातियों में बांटे जाने को गलत करार दिया है.
हिंदू समाज को कमजोर करने की कोशिश
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने कहा है कि यह सनातन धर्म और हिन्दू समाज को कमजोर करने की साजिश है. उन्होंने कहा कि जो भी हमारे देवी देवता हुए हैं वे सभी के आराध्य हैं, इसलिए उन्हें जातियों में बांटकर देखना कतई उचित नहीं है. उन्होंने किसी राजनीतिक दल का नाम लिए बगैर कहा है कि जहां तक बात महर्षि परशुराम की है तो वे भी भगवान विष्णु के ही अवतार हैं. अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने लोगों से अपील की है कि वे समाज को तोड़ने वाली ताकतों के बहकावे में कतई न आये. उन्होंने लोगों से अपील की है कि देश और समाज को बांटने वाली ताकतों का सभी एकजुट होकर विरोध करें, ताकि सनातन परम्परा की एकता और अखण्डता बनी रहे.
लोगों से सतर्क रहने की अपीलउन्होंने कहा है कि अखाड़ा परिषद सनातन समाज को बांटने वाली ताकतों का पुरजोर विरोध करेगा और समाज में एक अभियान भी चलायेगा ताकि लोगों को ऐसी विघटनकारी ताकतों के प्रति सचेत किया जा सके. महंत नरेन्द्र गिरी ने कहा है कि पांच सौ वर्षों के बाद सनातन धर्म की सबसे बड़ी जीत हुई और अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का भव्य मंदिर बनने जा रहा है. इस फैसले के देश ही नहीं पूरे विश्व के सनातन धर्मावलम्बियों में उत्साह भी है. लेकिन ऐसा लग रहा है कि कुछ लोगों को यह उपलब्धि भी रास नहीं आ रही है. जिसके चलते हिन्दू देवी-देवताओं और ऋषियों-मुनियों को जाति-पांति में बांटकर सियासी रोटियां सेंकने का सपना देख रहे हैं. महंत नरेन्द्र गिरी ने कहा है कि ऐसी सभी ताकतों जो कि हिन्दू समाज को कमजोर करने की कोशिश करेंगी, अखाड़ा परिषद उन्हें मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हमेशा तैयार है.
[ad_2]
Source