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विहिप द्वारा जिले के सिद्धपीठों और मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना आयोजित की गई. भाजपा कार्यालय में भी भगवान राम की पूजा-अर्चना की गई और कार्यकर्ताओं द्वारा मिठाईयां बांटी गईं. इस मौके पर कार सेवकों ने राम मंदिर आंदोलन (Ram Mandir Movement) के समय हुए संघर्ष को साझा किया.
बांटी गईं मिठाईयां
कार सेवकों ने इसे संघर्ष की जीत बताया और आज राम मंदिर के शिलान्यास होने पर खुशी जाहिर की. गौरतलब है कि टिहरी जिले में बीजेपी, विश्व हिन्दू परिषद और हिन्दू सामाजिक संगठनों द्वारा राम मंदिर के शिलान्यास पर कई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए. बौराड़ी के रघुनाथ मंदिर में four अगस्त से ही अखंड रामायाण का पाठ शुरू हो गया था और आज यज्ञ का भी आयोजन किया गया. वहीं विहिप द्वारा जिले के सिद्धपीठों और मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना आयोजित की गई. भाजपा कार्यालय में भी भगवान राम की पूजा-अर्चना की गई और कार्यकर्ताओं द्वारा मिठाईयां बांटी गईं. इस मौके पर कार सेवकों ने राम मंदिर आंदोलन के समय हुए संघर्ष को साझा किया.
संघर्ष को किया साझापुरानी टिहरी निवासी कार सेवक हरिकृष्ण लांबा का कहना है कि आज उनका संघर्ष सफल हो गया. 19 साल की उम्र में जिस मांग को लेकर वो आंदोलन में वो कूद पड़े थे वो पूरी हो गई है. हरिकृष्ण भट्ट का कहना है कि पुरानी टिहरी में वो राम मंदिर आंदोलन के लिए लोगों को जागरूक करते थे और हर किसी को इस आंदोलन में भाग लेने के लिए समझाते थे. 23 अक्टूबर 1990 को उत्तर प्रदेश में वो बाराबंकी जेल से सुल्तानपुर जेल शिफ्ट किए गए थे जिसमें ढाई हजार से अधिक कार सेवक उनके साथ थे. वो कहते हैं कि उनके तीन साथियो को पुरानी टिहरी से अयोध्या जाते समय गिरफ्तार कर लिया गया था. जेल में भी वो लोग राम के भजन गाते रहे और राम का ही नाम लेते रहे. वो दिन पूरी जिन्दगी याद रहेगा. लेकिन आज पीएम मोदी द्वारा राम मंदिर का शिलान्यास किए जाने से उन्हें बहुत खुशी मिली. जो संघर्ष लाखों कार सेवकों ने किया था वो सफल हो गया है.
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वहीं पुरानी टिहरी निवासी और वरिष्ठ कार सेवक ओम प्रकाश सोनी का कहना है कि अयोध्या में राम मंदिर बनाने का वो सपना पूरा हो गया जो उन लोगों ने जीवन भर देखा था. पीएम मोदी द्वारा अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास किया गया. कोविड-19 महामारी के चलते अयोध्या तो नहीं जा पाए लेकिन टीवी पर शिलान्यास कार्यक्रम देखकर पुरानी यादें ताजा हो गईं. कार सेवक सोनी का कहना है कि पुरानी टिहरी में ‘राम लला हम आयेंगे मंदिर यहीं बनाएंगे’ नारा लेकर घर-घर जाते थे और लोगों को राम मंदिर आंदोलन के लिए जागरूक करते थे. राम मंदिर आंदोलन के दौरान जब वो मलेथा से अयोध्या जा रहे थे तो उनको लखनऊ से पैदल जाते समय सफदरगंज में गिरफ्तार कर लिया गया और 17 दिन जेल में रहने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया था. जेल से छूटने के बाद भी उन्होंने राम मंदिर आंदोलन को जारी रखा और ये उसी का परिणाम है कि अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास हो सका. वो कहते हैं कि कार सेवकों के संघर्ष के चलते ही आज अयोध्या में भव्य राम मंदिर का शिलान्यास हुआ है.
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