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राम मंदिर आंदोलन (Ram temple motion) में प्राण गंवाने वाले संजय के परिवार के लोगों की इच्छा है कि राम मंदिर परिसर में उन लोगों की भी प्रतिमा लगाई जाए जिन्होंने राम काज मे अपने प्राण गंवा दिये.
मंदिर परिसर में प्रतिमा लगाने की मांग
पिता के साथ साथ मां रम्भा देवी को भी खो चुकी स्मृति के दिल में फ़ख्र के बीच एक दर्द छलक रहा है कि भूमि पूजन आयोजन में उनके परिवार को निमंत्रण नही मिला है. स्मृति की इच्छा है कि राम मंदिर परिसर में उन लोगों की भी प्रतिमा लगाई जाए जिन्होंने राम काज मे अपने प्राण गंवा दिये. पत्नी रम्भा देवी मां बनने वाली थी जब संजय मुजफ्फरपुर से हजारों लोगों के जत्थे के साथ अयोध्या के लिए निकल गये थे. शहीद के नहीं होने पर रम्भा देवी को भारी संकट झेलना पड़ा. काफी बाद उन्हें नर्स की संविदा की नौकरी दी गयी. सरकार ने उनकी नौकरी पक्की भी कर दी थी, लेकिन स्थायी रूप से योगदान देने से पहले ही रम्भा देवी भी शहीद संजय के पास चली गयीं. करीब डेढ़ साल पहले रम्भा देवी की मौत कैंसर की बीमारी से हो गयी.
ऐसे हुई थी संजय की ‘शहादत’संजय के उन दिनों के सहयोगी बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरविंद कुमार कहते हैं कि संजय कि शहादत पर उन्हें काफी गर्व है. उन्होनें भूमि पूजन आयोजन में इस परिवार को बुलाने की मांग की है. 2 नवम्बर 1990 के इस मंजर को याद करते हुए डॉ अरविंद कहते हैं कि मुजफ्फरपुर से बड़ा जत्था कारसेवा के लिए अयोध्या गया था. करीब पांच हजार रामभक्तों का समूह मंदिर की ओर बढ रहा था इसी दौरान हनुमानगढ़ी के पास उत्तर प्रदेश पुलिस नें निहत्थे लोगों पर गोलियां बरसा दी.तब मुलामय सिंह युपी के मुख्यमंत्री थे.
बीजेपी नेता ने की भूमि पूजन में बुलाने की मांग
मुजफ्फरपुर से संजय नाम के तीन कार्यकर्ता गये थे. जब संजय के मौत की खबर आई तो थोड़े समय के लिए उहापोह की स्थिति बन गयी. बाद में यह साफ हुआ कि कांटी के संजय की मौत हो गई है. उन्होंने बताया कि संजय के पीठ में गोली लगी थी. मुजफ्फरपुर भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष और वर्तमान में भाजपा राष्ट्रीय परिषद के सदस्य डॉ अरविंद सिंह नें मांग की है कि शहीद के परिवार में बची दोनों बेटियों को भूमि पूजन समारोह में बुलाया जाए.
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