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HRMN 99 Summer Apple fruit
पेशे से सर्जन डॉक्टर केसी शर्मा भारत सरकार की साइंस एंड टेक्नोलॉजी की टेक्निकल एजवाइज़री कमेटी के सदस्य हैं और कई राष्ट्रीय पुरस्कारों समेत WHO से भी सम्मानित हैं. डॉक्टर शर्मा गर्मियों में पैदा होने वाले इस सेब के प्रचार, प्रसार और विकास के लिए दो दशक से काम कर रहे हैं. वह बताते हैं कि इस सेब को खोजा था बिलासपुर के एक ज़मींदार हरिमन शर्मा ने. उन्हीं के नाम पर सेब की इस किस्म का नाम HRMN 99 रखा गया है.
साल 1999-2000 से ही डॉक्टर शर्मा ने जब इस सेब के बारे में रिसर्च लैबोरेट्री और यूनिवर्सिटी को बताना शुरु किया लेकिन एक किसान और एक सर्जन की बात पर उन्होंने यकीन नहीं किया. इसके बाद उन्होंने सोचा कि इसे ऊपर से नीचे पहुंचाया जाए. डॉक्टर शर्मा ने इसके पौधे देश के जाने-माने लोगों के घर लगाने शुरु किए और आज यह राष्ट्रपति भवन में भी लगा है और देहरादून समेत देश के सभी राजभवनों में भी.
कमाल का सेब
डॉक्टर शर्मा बताते हैं कि 50 डिग्री तक फल देने वाला यह अकेला सेब है जो जम्मू ही नहीं, दिल्ली, राजस्थान, कन्याकुमारी, मुंबई तक में लगा है. इसके एक पेड़ पर एक से डेढ़ क्विंटल तक सेब हो जाते हैं. डॉक्टर शर्मा के अनुसार इस बार एक सेब 306 ग्राम का आया है जो एक वर्ल्ड रिकॉर्ड बन गया है. इस किस्म के सेब अब आम तौर पर 250 ग्राम तक के हो रहे हैं.
यही नहीं यह सेब की अकेली ऐसी प्रजाति है जो 13 महीने में ही फल देना शुरु कर देती है. यानी कि आज आप इस सेब का पौदा लगाएंगे तो एक साल बाद उन्हें खा सकते हैं. सर्दियों के सेबों के विपरीत यह हरिमन 99 सेब गर्मियों में ही होता है. जून तक इसकी फसल तोड़ ली जाती है.
डॉक्टर केसी शर्मा कहते हैं कि उन्होंने तीन प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से HRMN 99 की न्यूट्रीशन वैल्यू की जांच करवाई है. इसकी हिमाचल-कश्मीर के ठंडे इलाकों में होने वाले सेबों से तुलना से पता चला है कि इसकी न्यूट्रीशन वैल्यू हिमाचल-कश्मीर के सेब की तुलना में बहुत अधिक है.
हिमाचल के बिलासपुर के ज़मींदार हरिमन शर्मा ने सेब की इस किस्म को खोजा था और इसलिए इसका नाम उनके नाम पर ही HRMN99 पड़ा है.
GM नहीं NP
सबसे कमाल की बात यह है कि यह सेब पूरी तरह प्रकृतिदत्त है. इतना शानदार और आमतौर पर प्रकृति के विरुद्ध लगने वाला यह सेब जेनिटिकली मॉडिफ़ाइड (GM) नहीं है बल्कि प्राकृतिक रूप से पैदा होने वाला (Natural Poduct) है. डॉक्टर शर्मा कहते हैं कि इसे किसी लैबोरेट्री में ईजाद नहीं किया गया है, इसे तो एक किसान ने ढूंढा है. इसे प्रकृति ही पैदा कर रही थी, बाद में विज्ञान की मदद से इसकी किस्म को थोड़ा सुधारा गया है.
गर्मियों में 45-50 डिग्री तक सेब के पैदा होने का अर्थ यह है कि अब एक ही बाग में आम और सेब दोनों लगाए जा सकते हैं. डॉक्टर शर्मा और हरिमन शर्मा ने तो जम्मू के एक आश्रम में सेब का बागान भी लगा दिया है जहां टनों सेब हो रहे हैं, वह भी तरबूज़ के साथ.
शहरों में उगाने के लिए HRMN99 को बड़े गमलों और प्लास्टिक के ड्रमों में भी लगाया गया. यह प्रयोग सफल रहा है और मुंबई में तो 12वीं मंजिल में भी यह फल दे रहा है.
इसलिए नहीं पहुंचा आम लोगों तक
बागवानी के क्षेत्र में यह ख़ामोश क्रांति 20 साल पहले हो गई थी लेकिन आज भी सेब ठंडे इलाकों का ही फल माना जाता है. ऐसा क्यों हुआ?
डॉक्टर केसी शर्मा कहते हैं कि शायद इसमें अकैडमिक ईगो आड़े आ गया. विभिन्न विश्वविद्यालयों और रिसर्च लैबोरेट्री ने पेड़ में लगे और प्लेट में रखे सेब को देखने के बाद भी इस बात को मानने से इनकार कर दिया कि गर्म इलाके में भी सेब हो सकता है. शायद उनके अहम को यह देखकर ठेस लगती है कि हरिमन शर्मा जैसा किसान तो दसवीं पास भी नहीं है और एक सर्जन कैसे हमें बता सकते हैं कि यह सेब की नई किस्म है जो सेब को लेकर सोच बदल सकती है.
वह कहते हैं कि इसी वजह से इस सेब के प्रसार में इतना समय लगा लेकिन अच्छी बात यह है कि यह अब देश के हर कोने में पहुंच गया है और लोगों को न्यूट्रीशन्स दे रहा है.
मुगल गार्डन के डायरेक्टर रहे उपेंद्र कुकरेती सेब की इस किस्म को देहरादून लाए थे और 2016 में सबसे पहले राजभवन में इसे लगाया गया था. अब यह उनके भाई के घर में भी फल दे रहा है.
राष्ट्रपति भवन से आया देहरादून
मुगल गार्डन के डायरेक्टर और राष्ट्रपति के ओएसडी रहे उपेंद्र कुकरेती करीब डेढ़ साल पहले रिटायर होने के बाद से देहरादून में रहते हैं. उन्होंने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के कार्यकाल में राष्ट्रपति भवन में हरिमन 99 के पौधे लगाए थे और उनमें फल भी आ गए थे.
वह बताते हैं कि देहरादून आते समय वह इसकी पौध साथ लाए थे और राज्यपाल केके पॉल के कार्यकाल में इन्हें राजभवन में भी लगाया गया. करीब चार साल पहले देहरादून में अपने भाई के घर पर भी उन्होंने इस सेब की पौध लगाई थी, जिस पर अब हर साल सेब आ रहे हैं.
कुकरेती बताते हैं कि उन्होंने HRMN 99 की पौध बिलासपुर में हरिमन शर्मा से मंगवाई थी. अब वह कोशिश में हैं कि यहां किसी नर्सरी को तैयार किया जाए कि वह इसकी पौध को विकसित करें ताकि उत्तराखंड में भी बड़े पैमाने पर सेब की खेती हो सके.
हालांकि यह काम सरकार करे तो ज़्यादा आसानी से और सफलतापूर्क हो सकता है लेकिन क्या उद्यान विभाग को इस बारे में पता है?
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