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यूपी से आ रही बसों को देहरादून नहीं आने दे रहा प्रशासन… पैदल प्रवेश कर रहे यात्री, 7 किलोमीटर चलकर पहुंच रहे ISBT
कोई चेकिंग नहीं
देहरादून आ रहे यात्रियों को यूपी की बसें बॉर्डर पर उतार दे रही हैं और प्रशासन उन्हें उत्तराखंड के वाहनों में भी नहीं बैठने दे रहा. ऐसे में इन सभी सवारियों को सात किलोमीटर की दूरी तय कर पैदल उत्तराखंड आना पड़ रहा है. नियमानुसार दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों को उत्तराखंड में पास दिखाकर ही एंट्री दी जा रही है. लेकिन जो सैकडों यात्री रोज उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से बसों में भरकर बॉर्डर से पैदल उत्तराखंड पहुंच रहे हैं उन यह नियम लागू नहीं हो रहे.
उत्तराखंड में जो भी प्राइवेट गाड़ी आ रही है उसका पास चेक किया जा रहा है. पास नहीं है तो बॉर्डर से ही वापस लौटा दिया जा रहा है लेकिन पैदल देहरादून में प्रवेश कर रहे लोगो के पास न कोई अनुमति है, न बॉर्डर पर उनकी चेकिंग हो रही है और न उनका कोई रिकॉर्ड रखा जा रहा है कि वह कहां कसे आए हैं, कहां जा रहा है और हैं कौन?कोरोना के वाहक तो नहीं
सैकडों की संख्या में रोज़ यूपी से बॉर्डर पार कर बिना पड़ताल के देहरादून में प्रवेश कर रहे ये लोग क्या कोरोना वायरस के वाहक नहीं हो सकते? इनमें कई श्रमिक हैं, जो रोज़ यूं ही आवाजाही कर रहे हैं. पुलिस के आगे समस्या यह है कि वह वाहनों के पास चेक करे या एक-एक पैदल यात्री को?
दरअसल होना तो यह चाहिए था कि यूपी की बसें पुलिस चेकपोस्ट पर यात्रियों को उतारतीं, वहां ठीक से चेकिंग के बाद उत्तराखंड के वाहन यात्रियों को बैठा लेते. लेकिन न जाने किस तर्क से देहरादून प्रशासन यात्रियों को सात किलोमीटर पैदल चलवा रहा है, वह भी बिना चेकिंग के? अभी तक को ऐसा कोई अध्ययन सामने नहीं आया कि इससे कोरोना वायरस मर जाता है वरना दुनिया भर में यही हो रहा होता.
यूपी से बात करेगा प्रशासन, लेकिन कब?
न्यूज़ 18 के इस बारे में सवाल उठाने पर देहरादून के ज़िलाधिकारी आशीष कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि उत्तराखंड में बिना रजिस्ट्रेशन के किसी को भी एंट्री नहीं दी जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले यूपी से बात की जाएगी कि वह उत्तराखंड के लिए अपनी गाड़ियां न भेजे.
हालांकि श्रीवास्तव इस बात के पीछे का तर्क नहीं पाए कि आखिर यात्रियों को 7 किलोमीटर पैदल क्यों चलवाया जा रहा है? न ही इस बात का कि सैकड़ों यात्रियों को बिना चेकिंग के जाने कैसे दिया गया? क्या इसके लिए किसी की ज़िम्मेदारी तय की जानी है?
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