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नई दिल्ली:
Farmers’ Protests: किसानों के विरोध-प्रदर्शनों से रोज देश को 3500 करोड़ का नुकसान हो रहा है. देश के प्रमुख वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम (ASSOCHAM) ने सरकार और किसान संगठनों को जल्दी ही विवादों को सुलझाने के लिए अनुरोध किया है. एसोचैम ने मंगलवार को चिंता जाहिर करते हुए कहा कि ‘किसानों के प्रदर्शनों से न केवल देश को आर्थिक नुकसान हो रहा है. बल्कि आम लोगों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. यह काफी चिंता का विषय है. सरकार और किसान संगठनों को शांतिपूर्वक बैठकर आपसी बातचीत से सभी विवादों को सुलझा लेना चाहिए.’
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ऐसोचैम में अपनी रिपोर्ट में कहा, किसानों के प्रदर्शनों से और भारत बंद करने से सबसे ज्यादा पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ है.
किसानों के विरोध प्रदर्शनों पर भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने कहा कि ‘हाईवे रोकने से ट्रांसपोर्टर्स को भी नुकसान हो रहा है. जरूरी सामान इधर से उधर नहीं जा पा रहा है. जिन हाईवे को किसानों ने जाम किया है, उस वजह से ट्रांसपोटर्स को दूसरे रास्तों से माल को पहुंचाया जा रहा है. इसमें काफी समय और खर्च लग रहा है.’ सीआईआई ने बताया कि माल ढुलाई खर्च में 8-10 प्रतिशत की बढ़ोतरी आई है.
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किसानों द्वारा हाईवे जाम करने की वजह से हर रोज उद्योग-धंधों को भी काफी नुकसान हो रहा है. क्रिसमस के त्योहार से पहले टैक्सटाइल, साइकिल, ऑटो पुर्जे और खेल के सामान के ऑर्डर पूरे कर पाना मुश्किल हो रहा है. रिटेल चेन सप्लाई में नुकसान से देश भर में फल और सब्जियों की कीमतों पर असर पड़ा है. पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली-एनसीआर सामान पहुंचाने में 50 प्रतिशत अधिक समय लग रहा है. हरियाणा, उत्तराखंड और पंजाब में बने वेयरहाऊस से दिल्ली सामान पहुंचाने में ट्रांसपोटर्स को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
देश पहले से ही कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन के नुकसान से उबरने की कोशिश कर रहा है. अब फिर किसानों के धरना प्रदर्शनों से अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हो रहा है. एसोचैम और सीआईआई ने किसान और सरकार से नए कृषि कानूनों पर मतभेदों को जल्द सुलझाने की अपील की.
Video: किसान आंदोलन से निपटने के लिए सरकार ने बनाई आक्रामक रणनीति: सूत्र
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