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‘जो युवा लौटे हैं उन्हें काम नहीं मिल रहा है और वह पेट पालने के लिए सड़क काट रहे हैं. यह सरकार के मुंह पर एक तमाचा है.’
आपदा के मानकों का हो संशोधन
हरीश रावत ने पहाड़ी राज्य में आपदा के मानकों में बदलाव की मांग की. उन्होंने कहा कि 2014 में उनकी सरकार में आपदा के मानकों में संशोधन किया गया था लेकिन अब आपदा को देख लग रहा है कि उन मानकों में भी संशोधन ज़रूरी है.
नैनीताल में न्यूज 18 से बातचीत में हरीश रावत ने कहा कि राज्य में आपदा को लेकर उच्च स्तरीय जांच दल का गठन किया जाना चाहिए. इसमें भू वैज्ञानिकों के साथ जल, पर्यावरण, वन विज्ञान से जुड़े वैज्ञानिकों के साथ अन्य लोगों को जोड़ा जाए. इसके बाद यह आपदा को लेकर विस्तृत अध्ययन करे लेकिन इसमें केन्द्र सरकार को भी जुटना होगा क्योकिं राज्य सरकार के संसाधन कम हैं.बड़ी देर कर दी मेहरबां आते-आते…
नैनीताल पहुंचे हरीश रावत ने गैरसैण पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा 15 अगस्त को झंड़ा फहराने के ऐलान पर कहा कि जहां वह झण्डा फहराने वाले हैं, उसका फ्लैग पोस्ट बनाने वाला पहला मुख्यमंत्री मैं हूं. तीन सालों में बीजेपी की सरकार ने एक पत्थर भी नहीं लगाया. यहां तक की जिसे ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का ऐलान किया वहां इसका बोर्ड़ तक नहीं लगाया गया है.
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे जाहिर होता है कि त्रिवेन्द्र सरकार सिर्फ जनता के सवालों से बचने के लिए वहां झण्डा फहराने का बात कर रही है. हरदा ने कहा झण्डा जब वहां झंडा लहराएगा तो वह भी सलाम करेंगे लेकिन जनता के सवालों का भी जवाब सरकार को देना होगा.
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना नहीं बीरबल की खिचड़ी
राज्य में प्रवासियों को रोज़गार के लिए बनी योजना, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, को पूर्व सीएम ने बीरबल की खिचड़ी करार दिया. उन्होंने कहा कि युवाओं को न तो रोज़गार मिल रहा है और न ही काम. युवाओं को रोज़गार कैसे मिलेगा यह सरकार ही जाने.
उन्होंने कहा कि हालत यह है कि अब जो युवा लौटे हैं उन्हें काम ही नहीं मिल रहा है और वह पेट पालने के लिए सड़क काट रहे हैं. यह सरकार के मुंह पर एक तमाचा है. हरीश रावत ने कहा कि उन लोगों को बधाई दी जो सरकार को आईना दिखा रहे हैं.
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