[ad_1]
साल 2013 में केदारनाथ (Kedarnath catastrophe 2013 ) में भीषण आपदा आई थी. इस दौरान हजारों लोग गायब हो गए थे तो कई लोगों के शवों को सरकार द्वारा खोजा गया. बावजूद इसके कई लोग अब भी नहीं मिल सके.
क्यों पहुंचा हाईकोर्ट मामला
दरअसल, साल 2013 में केदारनाथ में भीषण आपदा आई थी. इस दौरान हजारों लोग गायब हो गए थे तो कई लोगों के शवों को सरकार द्वारा खोजा गया. बावजूद इसके कई लोग अब भी नहीं मिल सके. इसके बाद दिल्ली के अजय गौतम ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर कहा था कि 2013 की आपदा में केदारनाथ में 10 हजार लोग गायब हो गए थे. सरकारी रिपोर्ट का याचिका में हवाला देते हुए कहा गया कि इस आपदा के बाद केदार घाटी में करीब 4200 लोग लापता थे जिसमें 600 के कंकाल बरामद हो गए लेकिन आज भी 3600 लोगों के शव केदारघाटी में दफन है. याचिका में कहा गया कि सरकार ने इनको खोजने के लिए कोई भी कार्य नहीं किया. लिहाजा सरकार को निर्देश दिए जाएं कि सभी शवों को खोजकर इनका अन्तिम संस्कार हिन्दू मान्यता और विधि विधान के अनुसार किया जाए.
ये भी पढ़ें: 10 ‘बिगड़ैल’ हाथियों को लगाया जाएगा रेडियो कॉलर, हरिद्वार कुंभ 2021 से पहले बड़ा फैसलासाल 2013 में प्रकृति ने बरपाया था कहर
साल 2013 की 16 व 17 जून को उत्तराखंड की केदारघाटी समेत अनेक स्थानों पर प्रकृति ने कहर बरपाया था. बारिश का पानी प्रलय के रूप में सामने आया. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस हिमालयी सुनामी में केदारनाथ समेत पूरे प्रदेश में करीब साढ़े पांच हजार लोगों को असमय काल के मुंह में समाना पड़ा. बड़ी संख्या में लोगों को बेघर होना पड़ा. 11,759 भवनों को आंशिक क्षति पहुंची. लगभग 11,091 मवेशी मारे गए. 4200 गांवों का संपर्क पूरी तरह से टूट गया था. 172 छोटे-बड़े पुल बह गए और कई कई सौ किलोमीटर सड़क लापता हो गई. 1308 हेक्टेयर कृषि भूमि को आपदा लील गई.
[ad_2]
Source