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वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा, “देश के 4 लाख गांवों के 10 करोड़ परिवार तक पहुंचने का लक्ष्य तय किया गया है. उनसे मंदिर के लिए सहयोग लिया जाएगा.” हालांकि, विहिप के संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन ने कहा, “रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट तय करेगा कि जनजागरण कार्यक्रम कब से होगा और इसकी रूपरेखा क्या होगी. लेकिन इसमें बहुत देर नहीं होगी.”
सूत्रों का कहना है कि लोगों को यह बताया जाएगा कि अयोध्या (Ayodhya) में बनने जा रहा राम मंदिर आपके संकल्प, सहयोग और दान से बनेगा. सहयोग लेने के नाम पर ही भगवा टोली घर-घर पहुंचेगी. विश्व हिंदू परिषद की स्थापना 1964 में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन हुई थी. इसलिए संगठन की ओर से जनमाष्टमी पर या उसके बाद इस अभियान की शुरुआत हो सकती है.
विश्व हिंदू परिषद चलाएगा अभियान
कौन नहीं बताना चाहेगा अपना अचीवमेंट: शास्त्री
उधर, न्यूज18 हिंदी से बातचीत में बीजेपी (BJP) के राष्ट्रीय प्रवक्ता विजय सोनकर शास्त्री ने कहा, “राम मंदिर निर्माण बीजेपी का बड़ा अचीवमेंट है और इसे जनता के बीच में कौन नहीं बताना चाहेगा. हम इसे हर घर में बताएंगे, क्योंकि यह हमारा कोर एजेंडा था. लंबी लड़ाई के बाद ये शुभ घड़ी आई है. राम मंदिर एनडीए के कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में नहीं था लेकिन बीजेपी ने अपने सबसे बड़े एजेंडे के तौर पर इसे कभी नहीं छोड़ा.”
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लेकिन कभी नीतीश कुमार तो सेक्लुरिज्म के पोस्टर ब्वाय हुआ करते थे. ऐसे में बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar meeting election) में इसे कैसे उठाया जाएगा. इस सवाल के जवाब में शास्त्री कहते हैं, “जहां तक बिहार की बात है तो नीतीश जी की अपनी पार्टी है, हमारी अपनी. राम मंदिर बनना बीजेपी की उपलब्धि है, पार्टी के तौर पर इसे जनता में उठाया ही जाएगा. विश्व हिंदू परिषद और आरएसएस के जो कार्यकर्ता ‘जनजागरण’ का हिस्सा बनेंगे वो भी बीजेपी के ही लोग हैं.”
राजनीतिक विशेषज्ञों की दो राय
हालांकि, सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ सोसायटी एंड पॉलिटिक्स के निदेशक प्रो. एके वर्मा कहते हैं कि मंदिर निर्माण तय हो गया है इसके बाद यह राजनीतिक मुद्दा नहीं रह जाएगा. चूंकि निर्माण में कुछ मुस्लिम भी सहयोग कर रहे हैं. यह कोर्ट का फैसला है. इसलिए बीजेपी को अब मंदिर का सियासी मुद्दा नहीं बनाना चाहिए.
उधर, सीएसडीएस के निदेशक संजय कुमार कहते हैं कि बीजेपी अगले तीन-चार साल तक अच्छी तरह से मंदिर निर्माण का मुद्दा भुनाएगी. लेकिन वो बिहार चुनाव में इसे प्रमुखता देगी या नहीं, अभी कहा नहीं जा सकता. शायद वो वहां का माहौल देखेगी. क्योंकि वहां की राजनीति में धर्म से ज्यादा जाति का कार्ड चलता है.
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