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2019 के चुनाव में मनोज सिन्हा (Manoj Sinha) गाजीपुर सीट से मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी के हाथों शिकस्त झेलनी पड़ी थी. बीएचयू आईआईटी से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक और एमटेक किया.
साफ़-सुथरी छवि के मनोज सिन्हा का जन्म का जन्म 1 जुलाई 1959 में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के मोहनपुरा में हुआ. ये ब्राह्मण जाति के भूमिहार वर्ग से ताल्लुक रखते हैं. मनोज सिन्हा ने गाजीपुर से ही अपनी स्कूली शिक्षा हासिल की और फिर बीएचयू स्थित आईआईटी से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक किया. इसके बाद मनोज सिन्हा ने एमटेक की डिग्री भी हासिल की. लोगों के सुख-दुख में शामिल होने वाले मनोज सिन्हा का रुझान छात्र जीवन से ही राजनीति की तरफ रहा. 1982 में मनोज सिन्हा बीएचयू छात्रसंघ के अध्यक्ष भी बने.
तीन बार सांसद बने
इसके बाद से मनोज सिन्हा ने राजनीति में पीछे मुड़कर नहीं देखा. 1996 में वे पहली बार गाजीपुर सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे. 1999 में उन्हें फिर जीत हासिल हुई. 2014 में मनोज सिन्हा तीसरी बार लोकसभा के लिए चुने गए और मोदी सरकार में रेल राज्य मंत्री बने. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने गाजीपुर को कई ट्रेनों की सौगात दी.इमानदार नेता
मनोज सिन्हा के लिए कहा जाता है कि इन्हें घुमने का शौक है. खेती-किसानी से जुड़े परिवार में जन्म लेने की वजह से इनका दिल हमेशा किसान और गांव के लिए धड़कता है. उनका लगाव पिछड़े गांवों की तरफ हमेशा से ही रहा है. मनोज सिन्हा की सबसे बड़ी उपलब्धि ये है कि उन्हें राजनीति में एक इमानदार नेता के रूप में जाना जाता है. देश की एक लीडिंग मैगजीन ने उन्हें वर्तमान के सबसे इमानदार सांसद का ख़िताब दिया है. मैगजीन के मुताबिक वर्तमान में मनोज सिन्हा उन इमानदार नेताओं में शुमार हैं जिहोने अपने सांसद निधि का शत-प्रतिशत इस्तेमाल लोगों के विकास के लिए लगाया है. मनोज सिन्हा अब एक बार फिर मैदान में हैं. उनके सामने गठबंधन प्रत्याशी अफजाल अंसारी ताल ठोक रहे हैं. पिछले चुनाव में उन्होंने मनोज सिन्हा ने अफजाल को हराया था.
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