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बिहार (Bihar) में विधानसभा चुनाव (Assembly Election) से पहले कास्ट पॉलिटिक्स (Caste Politics) शुरू हो गई है.
पप्पू यादव बीते रविवार को गोपालगंज गए थे. पप्पू ने कहा कि ‘नीतीश सरकार के लिए ये उनके वोटर नहीं माने जाते हैं. इसी लिए उन तक सरकारी मदद नहीं पहुंच पा रही है, लेकिन कोई भी सरकार अगर ऐसा करती है तो ये लोक तंत्र के लिए ठीक नहीं है’. कुछ ऐसा ही आरोप राजद के किसान सेल के प्रदेश अध्यक्ष अरुण सिंह लगाते हैं. अरुण सिंह कहते हैं कि ‘दियारा में रहने वाले लोगों कें हालात बाढ़ से बेहद ख़राब हुए हैं. दियारा इलाक़े में रहने वाले लोगों का पेशा जानवर पालना और खेती बारी मुख्य रूप से है, लेकिन इन लोगों तक सरकार की मदद नहीं पहुच पा रही है. इन लोगों के मदद नहीं पहुंचने के पीछे एक वजह ये भी है की ये लोग राजद समर्थक माने जाते हैं और एक ख़ास जाति (यादव) के लोग हैं.
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हर किसी को मदद का दावागोपालगंज के डीएम अरशद अज़ीज़ से इस दियारा इलाक़े में रहने वाले लोगों के शिकायत के बारे में पूछा तो ज़िला धिकारी ने बताया की प्रशासन हर किसी को मदद पहुंचा रहा है, जो लोग दियारा इलाक़े में रहते है उन्हें सुरक्षित स्थान पर आने के लिए लगातार बोला जा रहा है, लेकिन कई लोग नहीं आ रहे हैं. फिर भी प्रशासन उन तक हर संभव मदद पहुंचा रही है. जेडीयू नेता और पूर्व विधायक मंजित सिंह पप्पू यादव और राजद के आरोप पर पलटवार करते हुए कहते हैं, ‘राजद और पप्पू यादव जैसे नेता जाति की राजनीति करने के लिए ही जाने जाते हैं, लेकिन नीतीश कुमार हर जाति हर वर्ग और धर्म के लिए काम करते है. नीतीश सरकार का एक ही फ़लसफ़ा है सबका साथ-सबका विकास. जो लोग भी जाति देख मदद का आरोप लगाते है दर असल चुनाव देख इस तरह के बयान दे रहे हैं, लेकिन जनता सब देख और समझ रही है.
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