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Independence Movement: बिहार के सीमांचल इलाके के इन शहीदों (Katihar Martyrs) के किस्से आज भी आजादी की कहानी में याद किए जाते हैं. इन शहीदों में सबसे अहम ध्रुव कुंडु का नाम हैं जिन्होंने महज 13 साल में शहादत दी थी.
इन्होंने दी थी शहादत
शहादत देने वालों में ध्रुव कुंडू, रामशीष सिंह, रामधार सिंह, बिहारी साह, भूसी साह, कलनन्द मंडल, दामोदर साह, फूलों मोदी, नटाय यादव, नटाय तियर, लालजी मंडल, झवरु मंडल, झवरु मंडल (झौंआ) का नाम शामिल है जिन्होंन अंग्रेजों से लोहा लेते हुए जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में 13 अगस्त 1942 को प्राणों की आहूति दी थी. इन शहीदों की याद में शहर के नगर निगम पार्क में शहीद स्तम्भ बना है जहां इन 13 शहीदों का नाम अंकित है.
तब महज 13 साल के थे शहीद कुंडुइन शहीदों में ध्रुव कुंडू का नाम प्रमुख है. ध्रुव के बारे में स्वतंत्रता आंदोलन इतिहास के जानकार शमशाद कहते हैं कि 13 साल की उम्र में महेश्वरी एकेडमी का छात्र अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व कर रहा था जिसने पहले सब रजिस्ट्रार कार्यालय में भारत का झंडा लहरा दिया है और फिर उस समय शहर का कोतवाली कार्यालय जो कि वर्तमान में नगर थाना है पर भारत का झंडा लहराने के लिए आगे बढ़ रहा था, इसी दौरान अंग्रेजों ने इरादे को भापते हुए गोली चला दी, जिससे आंदोलन के नेतृत्व दे रहे ध्रुव को गोली लग गई और दूसरे दिन उनकी मौत हो गई.
इतिहास में दर्ज है नाम
वरिष्ठ पत्रकार सूरज गुप्ता कहते हैं कि आजादी के आंदोलन में शहीद स्तंभ में अंकित हर शहीदों के साथ और कई वीर सपूतों ने अलग-अलग तरीके से अपने प्राणों की आहूति दी है जिनका जिक्र इतिहास में दर्ज है. इनमें झौआ में रेल पटरी खाने के लिए झुवरू केवट जबकि कुर्सेला में लालजी मंडल, रामजी यादव, नाटय परिहार जैसे लोगों ने अपने प्राणों की आहूति दी थी, मगर देश की आजादी के आंदोलन में सबसे कम उम्र के शहीद के रूप में ध्रुव कुंडू का नाम अग्रिम पंक्ति में है.
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