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कई ठीक होकर लौटे घर
नशा मुक्ति केन्द्र के प्रभारी डॉक्टर अजीत तिवारी का कहना है कि पहाड़ में तेजी से युवा तेजी से नशे की तरफ बढ़ रहा है. पहले शराब और चरस का ही नशा होता था तो अब स्मैक और नशीली दवाओं के इंजेक्शन भी युवा ले रहे हैं. ऐसे युवाओं से पंचकर्म, आध्यात्मिक ज्ञान, हवन यज्ञ और खेलों से नशा छुड़ाने का प्रयास किया जा रहा है.
डॉक्टर तिवारी कहते हैं कि यह प्रयोग इतना सफल रहा है कि कई युवा तो नशा छोड़कर अब समाज को सुधारने की बात कर रहे है. कुछ युवा तो नशा केन्द्र से नशा छोड़कर नौकरी के लिए प्रतियोगी परीक्षाणों की की तैयारी करने लगे हैं.गांव में आकर लगी नशे की आदत
नशा मुक्ति केन्द्र में आए संजय कुमार का बताया कि वह यहां से बाहर एक शहर में नौकरी करते थे. कोरोना संक्रमण के कारण नौकरी छूटी तो वह घर लौट आए थे. घर आते ही कुछ युवाओं के संपर्क में आकर नशा करने लगे थे. हालत ऐसी हो गई थी कि उन्हें पता ही नहीं चलता था कि वह कर क्या रहे हैं.
इसके बाद परिजन उन्हें नशा मुक्ति केन्द्र ले आए. यहां पंचकर्म, हवन, योग, ध्यान और खेल से वह अपना ध्यान नशे से हटा रहे हैं. कई सप्ताह बीतने के बाद संजय को इस केन्द्र में अच्छा महसूस हो रहा है.
यहां ध्यान, योग, हवन, और पंचकर्म से युवाओं को नशे से बाहर निकाला जा रहा है.
इसी नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती महेन्द्र की कहानी भी कमोबेश ऐसी ही है. उनका कहना है कि गांव में आते ही उन्हें कुछ युवाओं का साथ मिला जो नशा किया करते थे. उनके संपर्क में आकर वह भी नशा करने लगे थे. फिर परिवार के लोगों ने उन्हें नशा मुक्ति केन्द्र में भर्ती कराया है. अब डेढ़ महिना बीत गया है वह अच्छा महसूस कर रहे हैं.
रोज़गार चाहिए, नशा नहीं
रोज़गार न मिलने की वजह से पहाड़ लौटे युवा नशे की तरफ जा रहे हैं या फिर आत्महत्या करने की कोशिश कर रहे है. पहाड़ में प्रयोग के तौर पर हवालबाग में बनाया गया नशा मुक्ति केन्द्र युवाओं को नशा छुड़ाने में कारगर साबित हो रहा है लेकिन यह दीर्घकालिक हल नहीं हो सककता.
दरअसल ज़रूरत युवा शक्ति के सही इस्तेमाल की है. इन्हें रोज़गार चाहिए ताकि यह खुद तो व्यस्त रहें ही, प्रदेश और देश की तरक्की में योगदान भी कर सकें.
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