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बिहार विधानसभा के एक दिवसीय मानसून सत्र का आयोजन विधानमंडल की जगह ज्ञान भवन में होने से विधायकों में मायूसी. बिहार में चुनाव से पहले नीतीश सरकार का संभवतः आखिरी विधानसभा सत्र मानते हुए विधायकों ने साझा किया दर्द.
विधायकों ने बयां किया दर्द
बीजेपी के विधायक नितिन नवीन ने मानसून सत्र के औपचारिक आयोजन पर कहा, ‘आप समझ सकते हैं कि उस भक्त की हालत क्या होती होगी, जब उसने पूरे समय पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ पूजा किया हो और अंतिम समय में मंदिर जाने से वंचित कर दिया जाए. कुछ ऐसा ही अनुभव हो रहा है मुझे इस वक़्त.’ राजद विधायक शक्ति यादव की कसक भी ऐसी ही है. उन्होंने कहा, ‘विधानसभा जनता की आकांक्षाओं का केंद्र होता है और जो जनप्रतिनिधि चुन कर आते हैं उनका विधानसभा के भवन से एक लगाव होता है. हमारे लिए मंदिर है विधानसभा भवन और उसके अंदर की यादें…, कितनी कचोट हो रही है क्या बताएं. जिस स्कूल में आप दाख़िला लीजिए और जब पास कर बाहर जाने की बारी आए तो उस क्लास में एंट्री नहीं मिल पाए तो आप समझ सकते है उस छात्र की पीड़ा, हमारी हालत भी कुछ ऐसी ही है.’
पहली बार विधायक बनने वालों की तकलीफविधानसभा में लंबा समय गुजार चुके बिहार सरकार के मंत्री और जेडीयू के नेता श्याम रजक कहते हैं, ‘कोरोना की वजह से एक दिन का सत्र ज्ञान भवन में हो रहा है जो मात्र औपचारिकता भर है. सवाल-जवाब भी नहीं हो पाएगा. कई विधायक ऐसे है जो पहली बार जीत कर आए हैं, उनके लिए किसी भी सत्र का आख़िरी दिन यादगार होता है लेकिन इस बार परिस्थिति ऐसी है कि वे विधानसभा भवन के अंदर की बातें मिस करेंगे.’ उन्होंने कहा कि विधानसभा की जगह कोई और जगह नहीं ले सकता है, क्योंकि वहां की बात ही अलग होती है.
आपको बता दें कि कोरोना संक्रमण की वजह से बिहार विधानसभा का मानसून सत्र विधान मंडल की जगह ज्ञान भवन में three अगस्त को कराया जा रहा है. मात्र एक दिन का यह सत्र संभवतः नीतीश सरकार का आखिरी सत्र होगा, इसके बाद चुनाव में बहुत ज़्यादा वक़्त नहीं बचेगा. विधायकों का दर्द भी इसीलिए छलक रहा है, क्योंकि पता नहीं जनता अगली बार उन्हें मौका देगी या नहीं.
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