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मनोज श्रीवास्तव (Manoj Srivastava) की लिखी पुस्तक ‘Seeing the State: Governance and Governmentality in India’ प्रशासनिक क्षेत्र में आज भी एक टेक्स्ट बुक की तरह स्वीकार की जाती है.
मनोज श्रीवास्तव इसलिए भी याद किये जा रहे हैं क्योंकि उन्होंने राज्य हित को हमेशा शीर्ष पर रखा और कर्तव्यों के निर्वहन में जी-जान से लगे रहे. यूनिसेफ के साथ बिहार शिक्षा परियाेजना काे धरातल पर लाये. बिहार में यूनिसेफ के साथ बिहार शिक्षा परियोजना की परिकल्पना को वास्तविक धरातल पर लाने का श्रेय मनाेज काे ही जाता है. काॅम्फेड के प्रबंध निदेशक के रुप में सुधा को बिहार ब्रांड के रूप में स्थापित कर लाखों ग्रामीणों व किसानाें की सूरत बदल दी थी.
आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव के रुप में 2007 के भीषण बाढ़ का कुशलता और मानवीयता के साथ मुकाबला किया था. उन्हाेंने बिहार स्टडी सर्किल का संयोजन किया. एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट ऑफ साेशल स्टडीज के सभागार में प्रत्येक माह विभिन्न मुद्दों पर हाेने वाले सेमिनार में वे रहते थे. 2009 में वे पहले व्यक्ति थे जिन्हें जमशेदजी टाटा फेलोशिप मिली थी, जिसके अंतर्गत लंदन स्कूल आफ इकोनोमिक्स से प्रो पूअर गवर्नेस इन इंडिया पर अपना शोध पूरा किया.
2002 में इंग्लैंड के क्राइसिस रिसर्च सेंटर में रिसर्च फेलों के रूप में इनका चयन हुआ. उनकी पुस्तक सीइंग द स्टेट-गवर्नेंस एंड गवर्नमेंटलिटि इन इंडिया प्रशासनिक क्षेत्र में आज भी एक टेक्स्ट बुक की तरह स्वीकार की जाती है. जवाहरलाल नेहरू विश्व विद्यालय से समाजशास्त्र में मास्टर करने के बाद मनाेज 1980 में प्रशासनिक सेवा में आए थे. इस वर्ष ये थर्ड टॉपर थे. इससे पहले 1979 में इनका चयन आइपीएस के लिए हुआ था.मनाेज, छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल डीएन सहाय के बड़े दामाद थे. वे वरीय आइपीएस एडीजी आलाेक राज के साढ़ू थे. 38 पाटलिपुत्र काॅलाेनी में रहने वाले मनाेज काे दाे बेटे और एक बेटी हैं. बड़े बेटे सागर श्रीवास्तव इंदाैर में आइआरएस के अधिकारी हैं जबकि छाेटे बेटे शेखर श्रीवास्तव क्लैट करने के बाद दिल्ली में किसी लाॅ फर्म कंपनी में हैं. इकलाैती बेटी राेशनी श्रीवास्तव भी दिल्ली में ही किसी लाॅ फर्म में हैं.
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