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10 फरवरी, 2020 को यादव सिंह (Yadav Singh) को हिरासत में लिया गया. इसके बाद रिमांड के लिए 11 फरवरी को सीबीआई की विशेष अदालत में पेश किया गया. सीबीआई अदालत ने उसे रिमांड पर सीबीआई हिरासत में भेज दिया.
हाई कोर्ट ने खारिज की दलील
यादव सिंह की याचिका मंजूर करते हुए अदालत ने कहा था ‘सीबीआई की ये दलील है कि लॉकडाउन के दौरान अदालतें बंद रहीं. लेकिन इस दौरान ऐसा तो नहीं है कि कोई अपराध नहीं हुआ और न ही कोई गिरफ्तारी हुई. इसलिए सीबीआई की ये दलील सही नहीं है.’
कैसे मिली जमानत?बता दें कि 10 फरवरी, 2020 को यादव सिंह को हिरासत में लिया गया. इसके बाद रिमांड के लिए 11 फरवरी को सीबीआई की विशेष अदालत में पेश किया गया. सीबीआई अदालत ने उसे रिमांड पर सीबीआई हिरासत में भेज दिया. लेकिन 60 दिनों की निर्धारित समय में चार्जशीट दाखिल नहीं किया गया. इसके बाद याचिकाकर्ता ने 12 अप्रैल, 2020 को ईमेल के जरिए गाजियाबाद के जिला जज के सामने जमानत के लिए अर्जी दाखिल की जिसे जिला जज ने 16 अप्रैल को सीबीआई की विशेष अदालत के पास भेज दिया. हालांकि सीबीआई की विशेष अदालत ने इस आधार पर याचिका खारिज कर दी कि लॉकडाउन की वजह से 60 दिन की सीमा नहीं गिनी जाएगी.
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यादव सिंह पर क्या है आरोप?
14 दिसंबर 2011 से 23 दिसंबर 2011 तक नोएडा अथॉरिटी के अलग-अलग इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट यादव सिंह के कंट्रोल में थे. वो नोएडा अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर थे और उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए 954.38 करोड़ रुपये के एग्रीमेंट बांड जारी किए जो 1280 प्रोजेक्ट के लिए थे. सीबीआई के मुताबिक सिंह ने अप्रैल 2004 से चार अगस्त, 2015 के बीच आय से अधिक 23.15 करोड़ रुपये जमा किए, जो उनकी आय के स्रोत से लगभग 512 प्रतिशत अधिक है.
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