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गाजीपुर के रहने वाले बीजेपी के इन दोनों दिग्गज नेताओं ने वाराणसी (Varanasi) में शिक्षा के दौरान ही अपना अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था. गाजीपुर के इन दोनों राजनेताओं ने अपने राजनीतिक जीवन में कई महत्वपूर्ण मुकाम हासिल किए हैं.
मेधावी छात्रों में गिने जाते रहे मनोज सिन्हा
पूर्वांचल के विकास पुरुष के रूप में अपनी पहचान रखने वाले मनोज सिन्हा का जन्म गाजीपुर की मोहम्मदाबाद तहसील के मोहनपुरा गांव में 1 जुलाई 1959 को हुआ. पिता स्व विरेन्द्र कुमार सिंह स्थानीय स्कूल में प्रधानाचार्य थे. माता का नाम स्व विन्ध्यवासिनी देवी है. हाईस्कूल स्कूल की शिक्षा इन्होने गांव के कालेज से प्राप्त की, जिसमें वे टाप टेन के मेधावी छात्र रहे. इंटर की शिक्षा गाजीपुर स्थित राजकीय सिटी इंटर कालेज से प्राप्त की जिसमे उनका स्थान टाप नाइन रहा.उन्होंने बीएचयू में बीटेक की शिक्षा प्राप्त की, जिसमें उन्हे तीन गोल्ड मेडल मिले. छात्रसंघ चुनाव के कारण ये एमटेक की शिक्षा पूरी नहीं कर पाए. बचपन से ही बेहद मेधावी रहे मनोज सिन्हा अपने शिक्षको में काफी प्रिय थे. उनके मित्रों के अनुसार वे शुरू से ही काफी बोल्ड और राजनीति के क्षेत्र में लगनशील व्यक्तित्व वाले हैं.
परिवार से अकेले राजनेता
मनोज सिन्हा कुल चार भाई हैं, जिनमें सबसे बड़े प्रवीन सिंह की मृत्यु हो चुकी है, जबकि दूसरे नम्बर के बड़े भाई अमिताभ सिन्हा और छोटा भाई सुजीत राय कृषि समेत व्यवसाय में सक्रिय है. मनोज सिन्हा भाईयों में तीसरे नम्बर पर हैं. मनोज सिन्हा का पुत्र अभिजीत सिन्हा दिल्ली में प्राइवेट कम्पनी में कार्यरत है जबकि साफटवेयर इंजीनियर से शादी के बाद मनोज सिन्हा की पुत्री मोना सिन्हा अमेरिका में बस गई हैं.
पढ़ाई के साथ शुरू हो गया राजनीतिक जीवन
बीएचयू में अध्ययन के दौरान ही मनोज सिन्हा सक्रिय राजनीति से जुड़ गए. एबीवीपी के कार्यकर्ता के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले मनोज सिन्हा वर्ष 1980 और वर्ष 1982 में दो बार बीएचयू छात्र संघ के अध्यक्ष रहे हैं.
चुनाव में हार से रेल राज्य मंत्री तक का सफर
वर्ष 1984 में गाजीपुर लोकसभा सीट के लिए बीजेपी ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया लेकिन इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. वर्ष 1996 और वर्ष 1999 में मनोज सिन्हा गाजीपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए. 2014 में मनोज सिन्हा तीसरी बार गाजीपुर लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीते और सांसद बने. जिसके बाद उन्हें मोदी सरकार-1 में रेल एवं संचार राज्य मंत्री बनाया गया.
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में गाज़ीपुर सीट से उन्हें हार का सामना करना पड़ा. अब मनोज सिन्हा को अब जम्मू कश्मीर का राज्यपाल बनाया गया है.
यूपी के सियासी दिग्गजों में शुमार रहे कलराज
गाजीपुर के सैदपुर तहसील के मलिकपुर गांव में 1 जुलाई 1941 को जन्म लेने वाले कलराज मिश्रा ने वाराणसी के काशी विद्यापीठ से अपनी शिक्षा पूरी की. छात्र जीवन से ही राजनीति में कदम रखने वाले कलराज मिश्रा ने अपने राजनीतिक सफर में कई पदों को सुशोभित किया. कलराज मिश्रा वर्ष 1978 से 1984 और वर्ष 2001 से 2012 तक तीन बार राज्यसभा सदस्य रहे, जबकि कलराज मिश्रा वर्ष 1986 से 2001 तक उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य रहे हैं.
अब राजस्थान के राज्यपाल
कलराज मिश्रा वर्ष 1997 से वर्ष 2000 तक उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे. वर्ष 2014 में देवरिया लोकसभा सीट से चुनाव जीतने के बाद कलराज मिश्रा को मोदी सरकार वन में कैबिनेट मंत्री बनाया गया. इसके बाद कलराज मिश्रा को 9 सितंबर 2019 को राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया.
वहीं अब मनोज सिन्हा को उपराज्यपाल बनाए जाने के बाद से गाजीपुर में उनके समर्थकों और बीजेपी कार्यकर्ताओं में खुशी और हर्ष का माहौल है. गाजीपुर के लोगों को जिले के दो दिग्गज नेताओं के राज्यपाल और उपराज्यपाल के पदों पर आसीन होने से गर्व महसूस हो रहा है.
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