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वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट (WII) और वन विभाग संयुक्त रूप से इस ऑपरेशन को अंजाम देंगे.
3 टीम देंगीं ऑपरेशन को अंजाम
दरअसल सालों पूर्व से राजाजी में बाघिनों का अकेलापन दूर करने के लिए यहां 6 बाघों को लाने की योजनाबन रही है लेकिन अभी तक तक यह फाइनल नहीं हो पाया था. इसी 24 जुलाई को टेक्निकल एडवायज़री कमेटी की बैठक में इस पर अंतिम मुहर लगा दी गई और तय किया गया कि नवंबर तक सभी 6 बाघों को ट्रांस्लोकेट कर दिया जाएगा.
इस प्रोजेक्ट के अनुसार राजाजी में 3 बाघ और 3 बाघिनों को लाया जाएगा. पहले चरण में 15 सितंबर तक दो बाघ लाए जाएंगे. इस ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए तीन टीमें बनाई गई हैं. पहली टीम कॉर्बेट में उन बाघों को चिन्हित करेगी जिन्हें राजाजी लाया जाना है. दूसरी टीम कॉर्बेट से बाघों को लाने और उन्हें राजाजी में छोड़ने तक के काम की ज़िम्मेदारी निभाएगी. तीसरी टीम टेक्निकल टीम है.
वन विभाग और WII का संयुक्त ऑपरेशन
चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जेएस सुहाग का कहना है कि कॉर्बेट के बफ़र जोन, तराई पश्चिमी क्षेत्र या फिर रामनगर के एरिया में बाघों को चिन्हित किया जा रहा है. 15 सितंबर तक दो बाघों को लाने के बाद महीने के अंत तक उनको मोतीचूर रेंज में छोड़ दिया जाएगा.
इसके बाद नवम्बर तक four अन्य बाघों को भी यहां लाया जाएगा. वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट और वन विभाग संयुक्त रूप से इस ऑपरेशन को अंजाम देंगे. ख़ास बात यह है कि उत्तराखंड में बाघों को ट्रांस्लोकेट किए जाने का यह पहला मामला होगा.
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