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सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में अनूप अवस्थी ने रिटायर्ड डीजीपी केएल गुप्ता (KL Gupta) के बयान का जिक्र किया है, जिसमें उन्होंने मीडिया में कहा था, “हमें ये स्वीकार करना चाहिए कि एनकाउन्टर को लेकर पुलिस सही कह रही है.”
केएल गुप्ता के बयान पर आपत्ति
अर्जी में अनूप अवस्थी ने रिटायर्ड डीजीपी केएल गुप्ता के बयान का जिक्र किया है, जिसमें उन्होंने मीडिया में कहा था, “हमें ये स्वीकार करना चाहिए कि एनकाउन्टर को लेकर पुलिस सही कह रही है.” याचिकाकर्ता ने पूर्व डीजीपी आईसी द्विवेदी, एसजे अहमद और प्रकाश सिंह के नाम का सुझाव दिया है.
रिटायर्ड जस्टिस बीएस चौहान कमेटी के अध्यक्षबता दें सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार एनकाउंटर मामले की जांच रिटायर्ड जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता वाली कमेटी करेगी. इस कमेटी में पूर्व पुलिस महानिदेशक केएल गुप्ता भी शामिल होंगे. दरअसल इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई, जहां उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) बीएस चौहान को जांच कमेटी का हिस्सा बनने के लिए संपर्क किया गया था. जस्टिस चौहान ने सहमति दे दी है. मेहता ने पूर्व पुलिस महानिदेशक केएल गुप्ता को भी जांच टीम का हिस्सा बनाने का सुझाव दिया, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी.
हफ्ते भर में कमेटी शुरू करेगी काम
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इन दोनों नाम पर मुहर लगने के बाद अब यह कमेटी एक हफ्ते में काम शुरू करेगी और दो महीने के अंदर जांच की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी. वहीं इस SIT की जांच की शीर्ष अदालत निगरानी नहीं करेगा.
इससे पहले एसजी मेहता ने अदालत को बताया कि जांच टीम उन परिस्थितियों की जांच करेगी, जिसके चलते लगभग 64 आपराधिक मामलों में नामजद होने के बावजूद विकास दुबे को जमानत या पैरोल पर कैसे रिहा किया गया था? हम इसमें राज्य के अधिकारियों द्वारा कार्रवाई ना करने की वजहों का पता भी लगाएंगे. इस पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे ने कहा कि हम इसे सबसे महत्वपूर्ण कारक मानते हैं.
दो महीने में रिपोर्ट देगी कमेटी
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से जांच कमीशन एक हफ्ते में गठित करने को कहा है. अदालत ने कहा कि केन्द्र सरकार की तरफ से इस कमेटी को सचिव स्तर का एक अधिकारी मुहैया कराया जाए. अदालत ने कहा कि आयोग दो महीने में अपनी रिपोर्ट दाखिल करेगा और हर पहलू की गंभीरता से जांच करेगा.
सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि एसआईटी किसी भी संबंधित घटनाओं की जांच करने के लिए स्वतंत्र है. एसआईटी का संविधान यहां सवालों के घेरे में नहीं है. सुनवाई के दौरान एडवोकेट सलमान खुर्शीद और संजय पारिख ने उत्तर प्रदेश राज्य में मुठभेड़ों की बढ़ती संख्या के बड़े मुद्दे पर भी सुप्रीम कोर्ट का ध्यान खींचा. सुनवाई में यूपी सरकार द्वारा गठित आयोग पर संजय पारिख ने कहा, ‘एसआईटी की नियुक्ति की गई लेकिन कमीशन ऑफ इन्क्वायरी एक्ट के तहत नहीं है. उन्होंने इसका कहीं जिक्र नहीं किया है.’
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