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हैरत की बात यह है कि नए नियम के मुताबिक रविवार को कस्टमर केयर काम नहीं करेगा तो क्रेडिट कार्ड (Credit Card) को ब्लॉक कराने का रास्ता भी बंद हो गया. रविवार को पूरे दिन भटकने के बाद पीड़ित ने सोमवार को बैंक (Bank) खुलने पर अपने साथ हुए इस फ्रॉड की जानकारी दी.
इस शातिर चाल से हैकर ने किया ऑनलाइन फ्रॉड
आशीष कुलश्रेष्ठ नोएडा के सेक्टर-49 स्थित यामाहा विहार में रहते हैं. आशीष के मुताबिक शनिवार-रविवार की रात कोई हैकर उनके क्रेडिट कार्ड से छेड़छाड़ करने लगा. उसने रकम निकलने की कोशिश की तो तीन ट्रांजेक्शन फेल हो गईं. हैकर ने पहले पांच हजार रूपए निकालने का प्रयास किया, लेकिन ओटीपी के बिना ट्रांजेक्शन फेल हो गई. इसके बाद हैकर ने पांच सौ रूपए निकालने का प्रयास किया, लेकिन इस बार भी उसे कामयाबी नहीं मिली. इसके बाद उसने जीरो ट्रांजेक्शन करने का प्रयास किया.
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इस ट्रांजेक्शन में वो कामयाब हो गया. उसके बाद हैकर ने सीधे 15 हजार, 800 रूपए की रकम भरी और निकालने में कामयाब हो गया. उसके बाद उसने लगातार आठ बार 7900 रूपए की एक-एक करके आठ ट्रांजेक्शन कीं. इस बीच एक बार 7900 का एक ट्रांजेक्शन फेल भी हुआ. लेकिन इस पर भी उसने हार नहीं मानी और लगातार ट्रांजेक्शन करता रहा. यह ट्रांजेक्शन तब तक जारी रही, जब तक पूरी क्रेडिट कार्ड की लिमिट खत्म नहीं हो गयी.
ऐसे हुआ फ्रॉड.
हैकर ने रविवार का ऐसे उठाया फायदा
रविवार की सुबह जब आशीष ने अपना मोबाइल देखा तो फ्रॉड का शिकार होने की जानकारी हुई. सबसे पहले उन्होंने कस्टमर केयर पर संपर्क करने का प्रयास किया. लेकिन हैरत की बात यह है कि कस्टमर केयर नंबर डायल करने पर पता चला कि कोरोना के कारण बैंक की कस्टमर केयर सर्विस सोमवार से शनिवार तक सुबह नौ बजे से शाम छह बजे तक ही उपलब्ध रहती है. कार्ड ब्लॉक न होने से फ्रॉड का खतरा अभी भी बना हुआ था, लेकिन करें तो क्या करें? तमाम कोशिशों के बाद भी क्रेडिट कार्ड ब्लॉक नहीं हो पाया. उन्होंने आरबीआई में अपने साथ हुए फ्रॉड की शिकायत दर्ज कराई.
ऐसे हुआ फ्रॉड.
ऑनलाइन फ्रॉड के ऐसे केस में रकम वापस करती है बैंक
इस बारे में बैंक मैनेजर नवीन कुमार बताते हैं, “जिस फ्रॉड में ग्राहक की लापरवाही होती है. ग्राहक पिन नम्बर या कार्ड के पीछे लिखे तीन अंक के सीवीवी नम्बर को किसी के साथ साझा कर लेता है या उसके कार्ड का क्लोन बन जाता है तो ये ग्राहक की गलती मानी जाती है. कार्ड, पिन और सीवीवी नम्बर के बिना जो फ्रॉड होता है तो ऐसे केस में बैंक की जिम्मेदारी होती है और वो ग्राहक को 45 दिन के भीतर रुपये वापस करेगा. लेकिन शर्त वही है कि आपको 3 दिन में शिकायत दर्ज करानी होगी. शिकायज दर्ज कराने में आप जितनी देर करेंगे मुआवजे की रकम उतनी ही कम होती जाएगी. अगर आप 4 से 7 दिन में शिकायज दर्ज कराते हैं कि आपके दावे की रकम आधी रह जाएगी.”
ऐसे हुआ फ्रॉड.
साइबर एक्सपर्ट के अनुसार ऐसे बच सकते हैं ऑनलाइन फ्रॉड से
किसी भी तरह का कॉर्ड खुद से ही स्वैप करें.
किसी दूसरे के हाथ में अपना एटीएम कार्ड और पिन न दें, ये आत्महत्या करने जैसा कदम है.
मोबाइल पर कार्ड और नेट बैंकिंग से संबंधित कोई जानकारी न दें.
कोई भी बैंक अपने ग्राहक से कार्ड की जानकारी मोबाइल पर नहीं मांगती है.
विश्वसनीय जगह से ही कोई भी ऐप डाउनलोड करें.
मोबाइल पर आए किसी भी ऐसे-वैसे मैसेज को क्लिक न करें. इससे आपकी सिम बंद और हैकर की चालू हो सकती है.
दो रुपये का भी लेन-देन अगर आपकी मर्जी के बिना हुआ है तो तुरंत कस्टरमर केयर पर जाकर या ऐप के जरिए कार्ड को ब्लॉक कर दें.
ई-वालेट वाले अपने मोबाइल को एक पासवर्ड जरूर दें.
हर किसी के हाथ में अपना मोबाइल न दें.
ऑनलाइन लेन-देन करने के बाद साइट को ठीक तरीके से बंद कर दें.
ई वालेट या किसी भी साइट पर अपना पासवर्ड सेव कर के न रखें.
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