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कांग्रेस की मांग है कि सरकार प्रवासियों को उद्योग धंधों को ऋण देने के बजाय अनुदान उपलब्ध कराए ताकि वे अपने पैरों पर खड़े हो सकें.
हर प्रवासी को 5 लाख दे सरकार
कांग्रेस ने प्रवासियों को लेकर बुधवार को 17 बिंदुओं का एक सुझाव पत्र सरकार को भेजा है. इसमें कहा गया है कि सरकार राज्य में लौटे हर प्रवासी नागरिक को पांच लाख की राशि त्वरित राहत के रूप में प्रदान करे. इसके अलावा सरकार प्रवासियों को उद्योग धंधों को ऋण देने के बजाय अनुदान उपलब्ध कराए ताकि वे अपने पैरों पर खड़े हो सकें.
कांग्रेस का कहना है कि प्रवासी बदहवासी की हालत में अपनी जड़ों की तरफ तो पहुंच गए हैं लेकिन अब ये सबकी जिम्मेदारी है कि उन्हें पहाड़ में रोककर रखा जाए. यह तभी सम्भव है जब पर्वतीय क्षेत्रों में रोज़गार अथवा स्वरोज़गार के अवसर उपलब्ध हों.कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि 2017 के चुनाव में सरकार ने किसानों से लोन माफ़ी का वादा किया था. उस वादे को पूरा करने का उचित समय आ गया है. सरकार तत्काल प्रभाव से किसानों का लोन माफ करे.
कांग्रेस शासित राज्य बनें उदाहरण
दूसरी ओर भाजपा का कहना है कि सरकार प्रवासियों के लिए जितना कर सकती है, उतना किया जा रहा है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने कहा कि कांग्रेस को गाल बजाने की आदत है. प्रवासी सिर्फ उत्तराखंड में ही नहीं, बल्कि देश भर में लौट कर आए हैं. कांग्रेस पहले अपने शासित राज्यों में ऐसा करके दिखाए.
उत्तराखंड में पलायन एक बड़ी समस्या रही है. सरकारों ने तमाम दावे किए, लेकिन रिवर्स माइग्रेशन गति नहीं पकड़ पाया. कोरोना काल में प्रदेश भर में three लाख से अधिक प्रवासी अपने घरों को लौट आए हैं. कोरोना का संक्रमण जिस तरह से दिनोंदिन बढ़ रहा है. उससे लगता नहीं कि प्रवासी इतनी जल्दी अपने काम काज पर लौट पाएंगे.
मौटे तौर पर माना जा रहा है कि कम से कम 30 फीसदी प्रवासी ऐसे होंगे जो अब यहीं रुककर काम धंधा तलाशेंगे. 2022 के चुनाव भी नजदीक हैं. प्रवासियों की इतनी बड़ी संख्या में मौजूदगी बहुतों का सियासी गणित बना-बिगाड़ सकती है. इसी कारण अब प्रवासी राजनीति का केंद्र बनते जा रहे हैं.
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