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भगत के three सवाल
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से तीन सवालों के जवाब मांगे हैं-
पहला जमरानी बांध का शिलान्यास करने के बाद 45 सालों तक उसकी सुध क्यों नहीं ली गई?दूसरा उत्तराखंड राज्य के गठन में कॉंग्रेस का क्या योगदान था?
जब अटल विहार वाजपेयी सरकार ने उत्तराखंड को विशेष राज्य का दर्जा दिया, तो यूपीए सरकार ने वापस ले लिया. हरीश रावत ने इसका विरोध क्यों नहीं किया?
इसलिए शुरु हुआ बवाल
दरअसल, बयानों के इस पलटवार का सिलसिला हरिद्वार में हर की पौढ़ी में गंगा की धारा को स्क्रैप चैनल कहे जाने को लेकर हुआ. हरीश रावत सरकार में हुए इस नामकरण पर हरीश रावत ने माफी मांगी थी और सरकार से कहा था कि वह चाहे तो इसे बदल कर फिर से गंगा की धारा का नाम दे सकती है.
मुख्यमंत्री ने इसे हरीश रावत का प्रयाश्चित बताया तो भाजपा अध्यक्ष ने इसे हरीश रावत द्वारा बिल्डरों के हित में उठाया गया कदम बताया था.
रावण और कालनेमि
इसके बाद हरीश रावत ने बंशीधर भगत को पहली बार टारगेट कर कहा था कि भगत अक्सर रामलीलाओं में दशरथ का पाठ करते हैं लेकिन अक्सर संवाद रावण वाले बोल जाते हैं. हरीश रावत ने बातों ही बातों में चेतावनी तक दे दी थी कि वे (भगत) उनका ज्यादा मुंह न खुलवाएं वरना इतनी बातें निकलेंगी कि समेटना मुश्किल हो जाएगा.
इस पर भगत ने हरीश रावत की तुलना रामायण के ही पात्र कालनेमि से कर दी जिसने रावण के कहने पर हनुमान का रास्ता रोका था. भगत ने कहा कि हरीश रावत कालनेमि हैं और कॉंग्रेस रावण. अब सभी को इंतजार है अपने सटीक, चुटीले और बहुअर्थी बयानों के लिए मशहूर हरीश रावत की प्रतिक्रिया का.
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