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लखनऊ की गली-गली को पहचानने वाले लालजी टंडन (Lalji Tandon) ने अपनी सियासी पारी की शुरुआत एक पार्षद के तौर पर की थी. पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के बेहद करीबी रहे लालजी टंडन हर समुदाय में लोकप्रिय थे.
1962 से शुरू किया सफर
लखनऊ के रहने वाले लालजी टंडन बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में शुमार थे. वह कई बार उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे थे. टंडन 1962 में लखनऊ नगर निगम के सदस्य चुने गए थे और नगर निगम में ही वह भारतीय जनसंघ सभासद दल के नेता रहे थे. इसके बाद भारतीय जनसंघ की लखनऊ इकाई के अध्यक्ष रहने के बाद वह आपातकाल के दौरान 19 महीने तक जेल में भी रहे.
1978 में एमएलसी बनेटंडन 1978 में पहली बार उत्तर प्रदेश की विधान परिषद के लिए चुने गए और इसके बाद भी वह इस सदन के लिए निर्वाचित होते रहे. 1978-84 तक वे विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष भी रहे. उन्होंने उत्तर प्रदेश में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकारों में कई अहम ओहदों की जिम्मेदारी भी संभाली. वे कल्याण सिंह सरकार में नगर विकास मंत्री भी रहे. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के संन्यास के बाद टंडन ने उनकी विरासत संभाली और 2009 में 15वीं लोकसभा के सदस्य चुने गए.
बिहार और मध्य प्रदेश के राज्यपाल भी रहे
12 अप्रैल 1935 को जन्मे लालजी टंडन को 21 अगस्त 2018 को बिहार के राज्यपाल बनाया गया. दिनांक 20 जुलाई 2019 को मध्यप्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया.
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