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पिछले साल की तुलना में इस साल ज्यादा छात्रों ने बीएड परीक्षा छोड़ दी. साथ ही कोविड 19 के समय में सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन नहीं किया जा सका.
अमर उजाला के मुताबिक परीक्षा समन्वयक प्रो. अमिता बाजपेयी ने बताया कि सभी अभ्यर्थियों, कक्ष-निरीक्षकों और नोडल अधिकारियों की सुरक्षा के सभी प्रोटोकॉल एवं निर्देशों का पालन कराया गया. परीक्षा-केंद्र पर सीसीटीवी कैमरे और राउटर आदि के सहारे लखनऊ से निगरानी की गई. किसी भी केंद्र पर कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं है. लखनऊ विश्वविद्यालय ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए अभ्यर्थियों को अपना परीक्षा केंद्र बदलने की सुविधा भी दी थी. प्रयास था कि सभी परीक्षार्थियों को उनके जिले में ही केंद्र आवंटित किया जा सके.
सोशल डिस्टेंसिंग नहीं हो पाई मेनेटेन
कई केंद्रों पर अंदर भले ही सोशल डिस्टेंसिंग को मेनटेन करने की कोशिश की गई हो लेकिन परीक्षा केंद्र के बाहर की स्थिति बुरी थी. केंद्र के बाहर छात्रों का हुजूम लगा हुआ था और लोग एक दूसरे से काफी सटे हुए थे. इस तरह की कई फोटोज़ सोशल मीडिया पर भी वायरल हुईं. लखनऊ में राजकीय पॉलीटेक्निक सेंटर के बाहर लगी भीड़ की फोटो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई. गोरखपुर और महाराजगंज की फोटो भी सोशल मीडिया पर घूमती रहीं. इस पर सरकार की खूब आलोचना हुई.पिछले साल की तुलना में ज्यादा रही अनुपस्थिति
इस साल पिछले साल की तुलना में अनुपस्थिति ज्यादा रही. पिछले साल परीक्षा में छह लाख नौ हजार कैंडीडेट रजिस्टर्ड थे. इसमें से 42 हजार ने परीक्षा नहीं दी थी. इस हिसाब से अनुपस्थित रहने वाले परीक्षार्थियों का आंकड़ा 6.9 फीसदी था. इसको देखते हुए इस साल परीक्षा छोड़ने वाले अभ्यर्थियों की संख्या काफी ज्यादा थी. हालांकि लखनऊ विश्विद्यालय प्रशासन का दावा था कि प्रवेश परीक्षा में आमतौर पर करीब 20 फीसदी अभ्यर्थी गैर हाजिर रहते हैं. बता दें कि पिछले साल रुहेल खंड यूनिवर्सिटी ने परीक्षा करवाई थी.
तीन बार टली परीक्षा
बता दें कि परीक्षा तो कोरोना वायरस महामारी के चलते तीन बार टाला जा चुका है. पहले बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा पहले eight अप्रैल को होनी थी. लॉकडाउन के कारण इसे 22 अप्रैल फिर 29 जुलाई किया गया. 29 को भी परीक्षा कराना संभव नहीं हुआ तो इसे 9 अगस्त किया गया.
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