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RJD नेता के साथ हुई घटना ने छपरा सदर अस्पताल में किए जा रहे जांच पर सवाल खड़ा कर दिया है. पटना AIIMS ने छपरा अस्पताल की रिपोर्ट को मानने से इनकार कर दिया.
AIIMS प्रशासन ने भी छपरा की रिपोर्ट को सही नहीं माना और लालबाबू यादव की फिर से जांच की गई, जहां उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई. आरजेडी नेता ने बताया कि छपरा सदर अस्पताल में उनका सैंपल कलेक्शन किया गया, जिसमें उन्हें पॉजिटिव बताया गया तथा इलाज के लिए एम्स (पटना) रेफर कर दिया गया. जब वह एम्स में पहुंचे तो, वहां चिकित्सकों ने छपरा सदर अस्पताल की जांच रिपोर्ट को मानने से इनकार कर दिया और दोबारा सैंपल कलेक्शन कर जांच किया. एम्स की जांच में उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई, जिसके बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया.
इस घटना ने छपरा सदर अस्पताल में किए जा रहे जांच पर सवाल खड़ा कर दिया है. तमाम जांच रिपोर्ट की असलियत पर लोगों को संदेह होने लगा है. आखिर कौन सी ऐसी बात है, जिसके कारण छपरा सदर अस्पताल में जिस व्यक्ति को पॉजिटिव पाया गया, वह पटना एम्स में जाते ही नेगेटिव हो गया. छपरा सदर अस्पताल की कार्यप्रणाली पहले से ही सवालों के घेरे में रही है और यहां व्याप्त कुव्यवस्था पर भी RJD नेता ने गंभीर सवाल खड़ा किया है. उन्होंने बताया कि अस्पताल प्रशासन द्वारा सैंपल कलेक्शन करने के बाद जब उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो अस्पताल में बुलाया गया. वह दो घंटे तक जाकर अस्पताल में बैठे रहे, लेकिन किसी ने उनकी सुध नहीं ली. काफी प्रयास के बाद जब सिविल सर्जन पहुंचे तो, जो एंबुलेंस से उन्हें एम्स भेजने के लिए उपलब्ध कराया गया.
खटारा हो चुके एंबुलेंस में बेड पर उन्हें लिटाने के बाद जैसे ही चालक ने स्टार्ट किया, वह दो बार बेड से नीचे गिर गए. अंत में थक हार कर उन्हें अपने निजी वाहन से एम्स जाना पड़ा. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के नाम पर स्वास्थ्य विभाग की गलत कार्यप्रणाली के कारण न केवल उन्हें काफी फजीहत उठानी पड़ी है.
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