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पार्टी के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने अमेरिका समेत दूसरे देशों में हो रहे चुनावों का उदाहरण देते हुए साफ कहा था कि जब इन देशों में कोरोना काल में चुनाव हो सकते हैं तो फिर बिहार में क्यों नहीं? केसी त्यागी की तरफ से कहा जाता रहा है कि अमेरिका, पोलैंड और श्रीलंका जैसे देशों में जब चुनाव संपन्न हो रहा है तो फिर बिहार में चुनाव कराने में क्या परेशानी है.
जेडीयू-बीजेपी तय वक्त पर चुनाव के पक्ष में
जेडीयू नेता के इस बयान ने पार्टी के उस रूख को स्पष्ट कर दिया था कि पार्टी अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समय पर चुनाव के पक्ष में हैं. जेडीयू वर्चुअल मीटिंग के जरिए चुनावी तैयारी में पहले से ही लगी हुई है. दूसरी तरफ, बीजेपी भी इस मुद्दे पर जेडीयू के साथ खड़ी दिख रही है. बीजेपी की तरफ से हर विधानसभा क्षेत्र में वर्चुअल रैली भी की जा रही है. चुनावी तैयारी में लगी जेडीयू-बीजेपी को लग रहा है कि इस वक्त अगर चुनाव होता है तो इसका फायदा उन्हें मिलेगा. क्योंकि, विपक्ष के मुकाबले उनकी तैयारी बेहतर है.ये अलग बात है कि कोरोना के प्रभाव और राज्य में दोबारा लॉकडाउन के चलते लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा है. उधर, उत्तर बिहार में बाढ़ की तबाही से लोग परेशान हैं. सरकार के प्रति लोगों में कई जगहों पर गुस्सा और नाराजगी भी दिख रही है. ऐसे में अक्टूबर-नवंबर में चुनाव कराने पर क्या माहौल सरकार के खिलाफ बनने का भी डर दिख रहा है. लेकिन, इन सबके बावजूद जेडीयू हर हाल मे चुनाव समय पर ही कराए जाने के पक्ष में अपनी राय रख रही है.
राष्ट्रपति शासन की बात से जेडीयू खफा
लेकिन, जेडीयू के उलट आजकल कई मुद्दे पर अपना रूख रखने वाली एलजेपी यहां भी साथ खड़ी नजर नहीं आ रही है. एलजेपी कोरोना काल में चुनाव कराए जाने के पक्ष में नहीं दिख रही है. पार्टी को लगता है कि अभी चुनाव होने पर लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा होगा और दूसरी तरफ, वोटिंग प्रतिशत भी कम होगा. अगर तय वक्त पर चुनाव नहीं होते हैं तो उसका मतलब राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ सकता है और फिर आगे कुछ महीने बाद राष्ट्रपति शासन के अधीन चुनाव होगा. लेकिन, यह बात जेडीयू को नागवार गुजर रही है. बीजेपी भी इस मुद्दे पर नीतीश कुमार के हां में हां ही मिलाती दिख रही है.
एलजेपी के आक्रामक तेवर के पीछे क्या?
दरअसल, एलजेपी कई मुद्दे पर जेडीयू से नाराज चल रही है और उसके निशाने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रहे हैं. कई बार चिराग पासवान की तरफ से नीतीश कुमार के काम पर सवाल उठाए गए हैं. लिहाजा दोनों दलों के बीच तू-तू मैं-मैं देखने को मिलता रहा है. एलजेपी के इस रूख का मतलब अबतक एनडीए के भीतर सीटों का बंटवारा नहीं होना भी बताया जा रहा है. एलजेपी को लगता है कि जेडीयू का रवैया उसके प्रति सकारात्मक नहीं रहा है, जिसकी झलक सीट बंटवारे में भी दिख सकती है. लिहाजा, पहले से ही आक्रामक अंदाज में हर विकल्प खुले होने का संकेत एलजेपी दे रही है.
उधर, विपक्षी खेमे में भी सभी दलों की राय चुनाव टालने को लेकर एक है. विपक्ष का यही रवैया जेडीयू-बीजेपी को पसंद आ रहा है. उन्हें लगता है कि चुनाव तय वक्त पर होंगे तो चुनावी तैयारियों में हमारा पलड़ा भारी रहेगा.
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