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हम सुप्रीमो जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) और एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने अपनी सियासी चाल से एनडीए और महागठबंधन में हलचल पैदा कर दी है.
पासवान साध रहे नीतीश सरकार पर निशाना
गौरतलब है कि चिराग पासवान ने पिछले सात-आठ महीने से लगातार बिहार के मुखिया नीतीश कुमार और उनके काम-काज के तरीके पर सवाल उठाया है. पहले ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ यात्रा के दौरान जेडीयू को असहज करने वाला बयान दिया. अब बाढ़ और कोरोना के मुद्दे पर चिराग के निशाने पर नीतीश कुमार आ गए हैं. यहां तक कि सुशांत सिंह राजपूत के मामले में भी एलजेपी अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के रुख पर उनको घेरा. अब जबकि बिहार में विधानसभा चुनाव करीब आ रहा है तो जेडीयू की तरफ से भी पलटवार हुआ. जेडीयू सांसद ललन सिंह ने चिराग पासवान को कालिदास बताया जिसके बाद अब जेडीयू-एलजेपी बिल्कुल आमने-सामने आ गए हैं. सूत्रों के मुताबिक, एलजेपी अब आर-पार के मूड में है. पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान की तरफ से अपने सभी नेताओं को बिहार सरकार की आलोचना करने की खुली छूट दे दी गई है.
जेडीयू से क्यों नाराज हैं चिरागआखिर क्या कारण है कि चिराग पासवान इस कदर जेडीयू से नाराज चल रहे हैं. सूत्र बताते हैं कि जेडीयू की तरफ से एलजेपी को नजरअंदाज किया जा रहा है. एनडीए गठबंधन में होने के बावजूद जेडीयू की तरफ से विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे में एलजेपी की अनदेखी की जा रही है. जबकि एलजेपी चाहती है कि हर हाल में 2015 के विधानसभा चुनाव या 2019 के लोकसभा चुनाव के आधार पर सम्मानजनक सीटें मिलें. यह सब पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान को नागवार गुजर रहा है, लिहाजा उन्होंने जेडीयू के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. सूत्रों के मुताबिक, एलजेपी की तरफ से जल्द ही संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई जा सकती है, जिसमें विधानसभा चुनाव को लेकर आगे की रणनीति को लेकर बड़ा फैसला किया जा सकता है.
यही नहीं, एनडीए के भीतर रामविलास पासवान एक बड़े दलित चेहरे हैं. यहां तक कि केंद्र की सरकार में बिहार से खुद वे ही दलित कोटे से मंत्री भी बने हैं. ऐसे में बीजेपी पासवान को नाराज नहीं करना चाहती. परेशानी अब जेडीयू के लिए भी है, क्योंकि दलित समुदाय से आने वाले नीतीश सरकार के मंत्री श्याम रजक भी पाला बदलकर आरजेडी खेमे में जाने की तैयारी में हैं. उदय नारायण चौधरी पहले ही जेडीयू से अलग हो चुके हैं. ऐसे में चिराग पासवान और रामविलास पासवान की नाराजगी जेडीयू-बीजेपी के लिए भारी पड़ सकती है. लेकिन, यहां भी जेडीयू की रणनीति पासवान की काट के तौर पर मांझी को लाने की दिख रही है.
मांझी की घर वापसी को लेकर जेडीयू…
जीतनराम मांझी की घर वापसी को लेकर जेडीयू की तरफ से पिछले कई महीनों से अभियान चलाया जा रहा है. जेडीयू चाहती है कि मांझी की पार्टी हम का पूरी तरह से जेडीयू में विलय हो जाए, लेकिन ऐसा नहीं होने की सूरत में मांझी की पार्टी के साथ कुछ सीटों पर समझौता भी संभव है. ऐसा हुआ तो जेडीयू अपने कोटे से मांझी की पार्टी के लोगों को टिकट देगी. मांझी लगातार महागठबंधन में कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाने की मांग करते आए हैं, लेकिन उनकी मांग पर अब तक अमल नहीं होता दिख रहा. लिहाजा मांझी नाराज चल रहे हैं. अगर सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो इस महीने की आखिर तक जीतनराम मांझी की एनडीए में वापसी संभव है. यही वजह है कि चिराग पासवान और जीतनराम मांझी दोनों इस वक्त बिहार की राजनीति के केंद्र में दिख रहे हैं.
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