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जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ने नियोजित शिक्षकों के मामले पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) की तारीफ की है. इस वक्त महागठबंधन के सभी नेता बिहार सरकार को घेरने में लगे हैं, तब मांझी का ये बयान नीतीश के चेहरे पर मुस्कान लाने वाला है.
फिलहाल महागठबंधन के हिस्सा हैं मांझी
पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी इस वक्त नीतीश कुमार के खिलाफ बिहार में बने महागठबंधन के हिस्सा हैं. आरजेडी की अगुआई में विपक्षी खेमा इस बार नीतीश कुमार को सत्ता से हटाने के लिए हर कोशिश में लगा हुआ है. जहां एक तरफ, आरजेडी, कांग्रेस, मुकेश सहनी की वीआईपी और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी ने पूरी तरह से बिहार सरकार को हर मोर्चे पर विफल बताने में लगे हैं, तो वहीं, उनके ही किसी सहयोगी की तरफ से जब राज्य सरकार की तारीफ की जाए तो यह बयान विपक्षी खेमे को असहज करने वाला है. जीतनराम मांझी का बयान महागठबंधन को कुछ इसी तरह की परेशानी में डालने वाला लग रहा है.
गौरतलब है कि नियोजित शिक्षकों को खुश करने के लिए बिहार सरकार की तरफ से कुछ बड़ा ऐलान होने की संभावना जताई जा रही है. सूत्रों के मुताबिक, उन्हें अब नियोजित शब्द से छुटकारा मिलने वाला है. इसके अलावा सरकार की तरफ से सेवा शर्त लागू करने की घोषणा होगी, जिसके तहत शिक्षकों के स्वैच्छिक स्थानांतरण और ईपीएफ और प्रोमोशन जैसे लाभ मिल सकेंगे.हम प्रवक्ता ने कही ये बात
जीतनराम मांझी नीतीश कुमार के इसी कदम के मुराद हो गए हैं. इसके ठीक एक दिन पहले मांझी की पार्टी हम के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कोरोना काल में नीतीश कुमार की तरफ से किए गए कामों की तारीफ की थी. यह हाल तब है जब विपक्ष कोरोना के नाम पर सरकार के फेल होने का आरोप लगाकर घेर रहा है. यहां तक कि जेडीयू की सहयोगी एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान ने भी नीतीश सरकार को कोरोना के खिलाफ लड़ाई को लेकर कई बार घेरा है. ऐसे में मांझी की तरफ से दिया गया बयान नीतीश कुमार के चेहरे पर मुस्कान लाने वाला है.
सूत्रों के मुताबिक, यह सब अनायास नहीं हो रहा है. इसके पीछे की पटकथा पहले से ही लिखी जा रही है, लेकिन बिहार में लगातार हो रहे लॉकडाउन के चलते इस कहानी को क्लाइमेक्स तक नहीं पहुंचाया जा पा रहा है. दरअसल, जीतनराम मांझी को अब तक महागठबंधन में वो भाव नहीं मिल रहा है, जिसके बिना पर वो वहां गए हुए थे. आरजेडी की तरफ से उनके बेटे संतोष मांझी को एमएलएसी बना दिया गया, लेकिन कोऑर्डिनेशन कमेटी की उनकी मांग को अब तक नजरअंदाज किया जाता रहा. सूत्रों के मुताबिक, तेजस्वी यादव, मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी से बात करने को लेकर भी ज्यादा उत्सुक नहीं दिख रहे हैं. हम और आरएलएपी दोनों कांग्रेस के उपर ज्यादा निर्भर हो गए हैं.
ऐसे माहौल में मांझी की अगर जेडीयू में घर वापसी होती है तो कोई आश्चर्य नहीं. सूत्रों के मुताबिक, महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर और लेटलतीफी होती रही तो मांझी पुराने घर में वापसी कर सकते हैं. हो सकता है मांझी जेडीयू का दामन थाम लें या फिर एनडीए गठबंधन का हिस्सा बन जाएं. उनके हाल के बयानों ने इस संभावना को और प्रबल कर दिया है.
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