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केसरिया स्थित बौद्ध स्तूप (Buddhist Stupa) की चहारदीवारी का पूर्व-दक्षिण कोने का एक हिस्सा बाढ़ एवं बारिश के पानी के दबाव से ध्वस्त हो गया है.
इस बीच खबर ये भी है कि बौद्ध स्तूप की चहारदीवारी का पूर्व-दक्षिण कोने का एक हिस्सा बाढ़ एवं बारिश के पानी के दबाव से ध्वस्त हो गया है. बताया जा रहा है कि 1200 मीटर लम्बी इस चहारदीवारी का लगभग 50 मीटर का हिस्सा ध्वस्त हुआ है. हालांकि बौद्ध स्तूप को इस चहारदीवारी के ध्वस्त होने से कोई नुकसान नहीं हुआ है.
बता दें कि यह बौद्ध स्तूप दुनिया का सबसे उंचा बौद्ध स्तूप माना जाता है. इसकी उंचाई 104 फीट है. यहां देश और विदेश से बौद्ध धर्मावलम्बी पर्यटक आते हैं. इतिहासकारों के अनुसार, महात्मा बुद्ध वैशाली में भिक्षापात्र देने के बाद कुशीनगर जाने के दौरान एक रात यहां रात्रि विश्राम किया था. जिस कारण ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व से बौद्ध स्तूप का विशेष महत्व है. लेकिन गंडक नदी के कारण बौद्ध स्तूप अभी बाढ के चपेट में है.
दरअसल गंडक नदी पर बना चम्पारण तटबंध के संग्रामपुर के भवानीपुर में टूटने से कई प्रखंडों में तबाही मची है. संग्रामपुर में तबाही मचाने के के बाद गंडक का पानी केसरिया प्रखंड के सभी 18 पंचायतों में फैला है. कोरोना संक्रमण के कारण पहले से ही बौद्ध स्तूप परिसर में पर्यटकों और आम लोगों के आने पर रोक लगा दी गई है. अब इसकी देख-रेख करने वाले पुरातात्विक विभाग के कर्मी और सुरक्षा गार्ड भी परिसर में बाढ़ आ जाने पर पलायन कर चुके हैं.केसरिया के निवासी अशरफ आलम और राजन कुमार बताते हैं कि बौद्ध स्तूप परिसर में पहले केवल बारिश का पानी थोड़ा-बहुत जमा हो जाता था, लेकिन इस साल गंडक का प्रकोप होने के साथ परिसर में पानी प्रवेश गया है और परिसर तालाब बना गया है.
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