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यहां तक कि खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा पहुंचकर चिराग ने राज्य में कानून-व्यवस्था का मुद्दा उठा दिया था. एलजेपी की तरफ से 14 अप्रैल को पटना में बड़ी रैली की तैयारी भी चल रही थी, जिसमें बिहार के लोगों के लिए नए बिहार का सपना दिखाया जाना था. उस वक्त चिराग पासवान शायद बिहार के लोगों के सामने अपने विजन के साथ आते, लेकिन, कोविड-19 के प्रकोप और लॉकडाउन ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया.
विजन डॉक्युमेंट को अंतिम रूप देने में लगी एलजेपीलेकिन, एक बार फिर एलजेपी अपने विजन डॉक्युमेंट को अंतिम रूप देने की तैयारी में लग गई है. विजन डॉक्युमेंट को बनाने के लिए एलजेपी की सात सदस्यीय कमेटी फरवरी में बनाई गई थी, जिसमें बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट के तहत बिहार के लोगों के लिए रोड मैप सामने लाने की बात थी. विजन डॉक्युमेंट कमेटी के सदस्य सौरभ पांडे के मुताबिक, बिहार के विजन डॉक्युमेंट के लिए चिराग पासवान कई सालों से काम कर रहे हैं और उनके पास एक रोड मैप है, जससे बिहार के हालात को न सिर्फ बेहतर किया जा सकता है बल्कि सर्वश्रेष्ठ भी बनाया जा सकता है. सौरभ पांडे बताते हैं, ‘चिराग पासवान का मानना है कि बिहार में पर्यटन, शिक्षा और स्वास्थ के क्षेत्र में बहुत काम किया जा सकता है और इनको बढ़ावा देने से पलायन पर रोक लगाई जा सकती है.’
LJP चाहती है विधानसभा चुनाव में विजन डॉक्युमेंट को भी जगह मिले
दरअसल, एलजेपी चाहती है कि इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में उसके विजन डॉक्युमेंट को भी जगह मिले. सूत्रों के मुताबिक, पार्टी की तरफ से इस बारे में बीजेपी को बता भी दिया गया है. एलजेपी का मानना है कि नीतीश कुमार की मौजूदा सरकार जिस एजेंडे पर काम करती है वो एजेंडा जेडीयू, आरजेडी औऱ कांग्रेस का कॉमन एजेंडा है जो 2015 में तय हुआ था. अब जबकि नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी हो गई है तो फिर, उसमें बीजेपी और एलजेपी को मिलाकर एक कॉमन एजेंडा बने, जिसे जनता के सामने रखा जाए.
एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान का यही तेवर जेडीयू को नागवार गुजर रहा है. (फाइल फोटो)
चिराग पासवान का यही तेवर जेडीयू को नागवार गुजर रहा है
एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान का यही तेवर जेडीयू को नागवार गुजर रहा है. लेकिन, बावजूद इसके चिराग के तेवर तल्ख बने रहे हैं. एनडीए के भीतर रहने के बावजूद सहयोगी जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर चिराग पासवान का निशाना लगता रहा है. कभी कोरोना काल में बिहार की व्यवस्था का मसला हो तो कभी बाढ़ का मुद्दा तो कभी गोपालगंज के पुल क्षतिग्रस्त होने का मामला चिराग ने नीतीश कुमार की सरकार पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर सवाल खड़ा किया है. कई बार चिराग ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र भी लिखा है.
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यहां तक कि बिहार में तय वक्त पर विधानसभा चुनाव कराने या न कराने के मसले पर भी चिराग की राय नीतीश कुमार से अलग दिखी. जेडीयू अक्टूबर-नवंबर में चुनाव कराने के पक्ष में है जबकि, एलजेपी की राय आरजेडी की राय से मिलती दिखी, जिसमें चुनाव से ज्यादा लोगों की सेहत का ख्याल रखने की बात कही गई थी. अब एक बार फिर से विजन डॉक्युमेंट को लाने की बात कर एलजेपी ने अपने तेवर साफ कर दिए हैं.
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