[ad_1]
बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) के मैदान में उतरने से पहले COVID-19, राम मंदिर भूमि पूजन, लॉकडाउन के बीच लौटे प्रवासी मजदूरों की समस्या, सुशांत सिंह खुदकुशी (SSR demise case) जैसे तमाम मुद्दों को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के नेता बना रहे रणनीति.
वरिष्ठ पत्रकार राजीव मिश्र कहते हैं कि कोरोना संक्रमण काल में अपने फैसले के कारण नीतीश सरकार आम जनता और विपक्ष के निशाने पर थी, लेकिन फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत मामले की सीबीआई जांच की अनुशंसा कर नीतीश कुमार ने आम जनता के बीच एक बार फिर जगह बना ली है और हीरो बन गए हैं. बिहार पुलिस ने चंद दिनों में ही मुंबई में जो काम किया उसकी पूरे देश में चर्चा हो रही है. दरअसल, मुंबई पुलिस ने फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मामले को रफा दफा कर चुकी थी. लेकिन, बिहार पुलिस ने अपनी जांच के क्रम में उसे संजीवनी देकर जिंदा कर दिया. इतना ही नहीं उसने अपनी जांच में सुशांत सिंह राजपूत और दिशा सालियान की संदिग्ध मौत को एक-दूसरे से जोड़ा. इसके साथ ही इन दोनों मौतों के पीछे का राजनीतिक कनेक्शन की बात कर मुंबई सरकार की धड़कनें बढ़ा दी.
पूरे देश में बिहार पुलिस की वाहवाही
इस कार्रवाई से पूरे देश में बिहार पुलिस की वाहवाही हो रही है और महाराष्ट्र की शिवसेना कठघरे में खड़ी हो गई है. शिवसेना सांसद और पार्टी के मुखपत्र सामना के संपादक संजय राउत खुलकर बिहार पुलिस के विरोध में मोर्चा खोल चुके है. अब बिहार के चुनावी वर्ष में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इसे कैश करने का पूरी तैयारी में हैं. बिहार में चुनाव से ठीक पहले अयोध्या में राम मन्दिर के निर्माण के लिए हुए भूमि पूजन को भी बिहार भाजपा जमकर कैश करने की तैयारी में है. इसको लेकर बिहार भाजपा की ओर से तैयारी भी शुरू कर दी गई है. इसके साथ ही एनडीए ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से बिहार को दिए गए सवा लाख करोड़ रुपए रुपए से हुए विकास कार्यों का भी जनता के सामने हिसाब-किताब पेश करने की तैयारी की है. एनडीए इसी रकम से हुए विकास कार्यों को अपने एजेंडा में शामिल करना चाहती है.तेजस्वी भी पूरी तैयारी में
इधर, विपक्ष भी सरकार पर हमला करने की तैयारी में है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव बिहार सरकार के गलत फैसले के कारण कोरोना काल में बिहार से बाहर गए लोगों को आने में हुई परेशानी को लेकर सरकार पर निरंतर हमला कर रहे हैं. उनका यह प्रयास है कि इस मुद्दे को चुनाव में जोरदार तरीके से उठाया जाए, क्योंकि यह उनके वोट बैंक के हर घर से जुड़ा मामला है. चुनाव में उनकी इस पीड़ा पर मरहम लगाकर सहानभूति का वोट अपनी ओर करें. इसके लिए वे लॉकडाउन के बावजूद आम लोगों से लगातार मिल रहे और उनसे उनकी दु:खती रग पर हाथ रखना भी नहीं भूल रहे. हालांकि, लॉकडाउन के प्रारंभ में राज्य से बाहर रहने के कारण वो सत्ता पक्ष के निशाने पर भी रहे हैं.
सोशल साइट पर कैंपेन
इसके अलावा वे चुनाव में बिहार के स्वास्थ्य की बदतर स्थिति को भी मुद्दा बनाने की तैयारी में हैं. कोरोना संक्रमित मरीजों के परिजनों की ओर से अस्पताल के अंदर से वायरल किए गए वीडियो को तेजस्वी अपने सोशल साइट पर निरंतर पोस्ट करते रहे हैं. अब वे इसे चुनाव में मुद्दा बनाकर कैश करने की तैयारी में हैं. राजद ने इसे लेकर एक बड़ा प्लान तैयार किया है, जो चुनाव के दौरान सोशल साइट पर एक कैंपेन की तरह चलेगा. तेजस्वी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर के लोगों से उनकी समस्या पूछ रहे हैं और नीतीश सरकार पर भी हमला करने से नहीं चुक रहे. इसके साथ ही विपक्ष ने बिहार के सृजन घोटाला समेत अन्य घोटालों की भी सूची तैयार कर रखा है. चुनाव का बिगुल बजते ही वह इसे लेकर जनता के बीच जाएंगे. (डिस्क्लेमरः ये लेखक के निजी विचार हैं.)
[ad_2]
Source