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पीएम मोदी ने कहा कि भगवान राम का जिक्र ईरान (Iran) और चीन (China) तक में पाया गया है और ‘‘राम कथा’’ (Ram Katha) कई देशों में प्रचलित है. उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया में कितने ही देश राम के नाम का वंदन करते हैं. वहां के नागरिक खुद को श्रीराम से जुड़ा हुआ मानते हैं. विश्व की सर्वाधिक मुस्लिम जनसंख्या जिस देश में है, वो है इंडोनेशिया. वहां हमारे देश की ही तरह ‘काकाविन’ रामायण, स्वर्णद्वीप रामायण, योगेश्वर रामायण जैसी कई अनूठी रामायण हैं. राम आज भी वहां पूजनीय हैं.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी प्रकार कंबोडिया में ‘रमकेर रामायण’, लाओ में ‘फ्रा लाक फ्रा लाम’ रामायण, मलेशिया में ‘हिकायत सेरी राम’ तो थाईलैंड में ‘रामाकेन’ रामायण है. उन्होंने कहा, ‘‘आपको ईरान और चीन में भी राम के प्रसंग तथा राम कथाओं का विवरण मिलेगा.’’
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जानकी हरण के नाम से श्रीलंका में सुनाई जाती है रामकथामोदी ने कहा कि श्रीलंका में रामायण की कथा ‘‘जानकी हरण’’ के नाम से सुनाई जाती है और नेपाल का तो राम से आत्मीय संबंध माता जानकी से जुड़ा है. उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे ही दुनिया के और न जाने कितने देश हैं, कितने छोर हैं, जहां की आस्था में या अतीत में, राम किसी न किसी रूप में रचे बसे हैं. आज भी भारत के बाहर दर्जनों ऐसे देश हैं जहां, वहां की भाषा में रामकथा, आज भी प्रचलित है.’’
मोदी ने उम्मीद जताई कि आज इन देशों में भी करोड़ों लोगों को राम मंदिर के निर्माण का काम शुरू होने से बहुत सुखद अनुभूति हो रही होगी. उन्होंने कहा, ‘‘आखिर राम सबके हैं, सब में हैं.’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रीराम के नाम की तरह ही अयोध्या में बनने वाला भव्य राम मंदिर भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत का द्योतक होगा. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि यहां निर्मित होने वाला राम मंदिर अनंतकाल तक पूरी मानवता को प्रेरणा देगा.’’
देश में हो रहा राम सर्किट का निर्माण
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सुनिश्चित करना होगा कि भगवान श्रीराम का संदेश, राम मंदिर का संदेश, हमारी हजारों सालों की परंपरा का संदेश, कैसे पूरे विश्व तक निरंतर पहुंचे. उन्होंने कहा, ‘‘कैसे हमारे ज्ञान, हमारी जीवन-दृष्टि से विश्व परिचित हो, ये हमारी, हमारी वर्तमान और भावी पीढ़ियों की ज़िम्मेदारी है. इसी को समझते हुए, आज देश में भगवान राम के चरण जहां-जहां पड़े, वहां राम सर्किट का निर्माण किया जा रहा है.’’
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