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एक व्यक्ति से प्लाज्मा संग्रह करने में करीब एक घंटे का वक्त लगता है, डीप फ्रीजर में करीब एक साल तक प्लाज्मा सुरक्षित रखा जा सकेगा.
25 मरीजों को प्लाज्मा चढ़ा
किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के शताब्दी भवन में ब्लड बैंक के पास ‘प्लाज्मा बैंक’ स्थापित किया गया है . यहां से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक संस्थान में कोरोना को हरा चुके 45 योद्धा प्लाज्मा दान कर चुके हैं, और 25 मरीजों को प्लाज्मा चढ़ाया भी जा चुका है. इस प्लाज्मा बैंक ने काम करना आरंभ कर दिया है.
27 अप्रैल को पहली प्लाज्मा थेरेपीकेजीएमयू में किसी कोरोना रोगी को पहली बार 27 अप्रैल को प्लाज्मा थेरेपी दी गयी थी. यह रोगी उरई के एक 58 वर्षीय डाक्टर थे. इनको प्लाज्मा देने वाली कनाडा की एक महिला डाक्टर थी, वह केजीएमयू में भर्ती हुई थी लेकिन दुर्भाग्यवश नौ मई को दिल का दौरा पड़ने और किडनी फेल होने से डॉक्टर की मौत हो गयी थी.
केजीएमयू के ब्लड ट्रांस्फयूजन विभाग की अध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्रा ने न्यूज एजेंसी को बताया कि ‘उप्र के इस पहले प्लाज्मा बैंक में देश में सबसे अधिक 830 यूनिट प्लाज्मा संग्रह किया जा सकेगा. बैंक में प्लाज्मा को सुरक्षित संग्रह करने के सभी संसाधन उपलब्ध हैं.
दूसरे जिलों के अस्पतालों को दिया जाएगा प्लाज्मा
बैंक में उपलब्ध प्लाज्मा प्रदेश के दूसरे जिलों के अस्पतालों में इलाज करा रहे मरीजों को भी आवश्यकता पड़ने पर उपलब्ध कराया जाएगा.’ उन्होंने बताया कि केजीएमयू में एक दिन में 120 लोग प्लाज्मा दान कर सकेंगे, इसके लिए प्लाज्मा फेरेसिस मशीनें लगायी गयी है. एक व्यक्ति से प्लाज्मा संग्रह करने में करीब एक घंटे का वक्त लगता है, डीप फ्रीजर में करीब एक साल तक प्लाज्मा सुरक्षित रखा जा सकेगा.
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कोरोना से ठीक हो चुके मरीज 14 दिन बाद प्लाज्मा दे सकते हैं
डॉ. ने कहा कि कोरोना से ठीक हो चुके मरीज ठीक होने के 14 दिन बाद तक प्लाज्मा दान कर सकते हैं. इसके अलावा ऐसे मरीज जिनमें जांच के बाद एंटीबॉडी मौजूद मिले, वह भी प्लाज्मा दान कर सकते हैं.
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