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उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh)के 17 जिलों के 666 गांव बाढ़ (Flood) से प्रभावित हैं. जबकि शारदा, राप्ती और घाघरा नदियां अलग-अलग जगहों पर खतरे के निशान को पार कर गयी हैं.
राहत आयुक्त संजय गोयल ने कही ये बात
उत्तर प्रदेश के राहत आयुक्त संजय गोयल ने गुरुवार को बताया कि आंबेडकरनगर, अयोध्या, आजमगढ, बहराइच, बलिया, बलरामपुर, बाराबंकी, बस्ती, गोण्डा, गोरखपुर, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, मऊ, संत कबीर नगर, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज और सीतापुर बाढ़ से प्रभावित हुआ है. उन्होंने सिंचाई विभाग की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए बताया कि शारदा, राप्ती और घाघरा नदियां अलग-अलग जगहों पर खतरे के निशान को पार कर गयी हैं. इसके अलावा गोयल ने बताया कि पलियांकला (लखीमपुर खीरी) में शारदा, बर्डघाट (गोरखपुर) में राप्ती, एल्गिनब्रिज (बाराबंकी), अयोध्या और तुर्तीपार (बलिया) में सरयू—घाघरा नदी खतरे के निशान से उपर बह रही हैं. जबकि गोरखपुर से खबर मिली है कि राप्ती नदी में एक तटबंध से पानी रिस रहा है और मऊ जिले के एक तटबंध पर भूमि क्षरण हुआ है. दोनों ही जगहों पर मरम्मत का कार्य चल रहा है और स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है.
एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पीएसी की 16 टीमें तैनातराहत आयुक्त संजय गोयल के मुताबिक, मऊ में बाढ से लगभग 5000 परिवार प्रभावित हुए हैं. तीन प्रभावित गांवों में फंसे 20 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है. इसके अलावा बताया कि राज्य के अन्य हिस्सों में तटबंधों और पुलों को कोई खतरा नहीं है. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पीएसी की 16 टीमें राहत और बचाव कार्य के लिए तैनात की गयी हैं. कुल 219 आश्रय स्थल बनाये गये हैं और 983 नावों को तैनात किया गया है. वहीं, 712 बाढ चौकियां स्थापित की गयी हैं और 249 मेडिकल टीमें भी तैनात हैं. प्रभावित लोगों को राशन किट और भोजन के पैकेट वितरित किये जा रहे हैं.
सीएम ने दिया ये आदेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिये हैं कि तटबंधों पर लगातार गश्त की जाए और भूमि क्षरण रोकने के कदम उठाये जाएं. राहत कार्यों में नौकाओं का उपयोग किया जाए. मुख्यमंत्री ने रोगों से निपटने के लिए दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने को भी कहा है.
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