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अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर (Ram Mandir) के भूमि पूजन को देखते हुए मेरठ में अलग-अलग जगहों पर दीप उत्सव भी मनाया गया. कहीं दीयों के माध्यम से जयश्रीराम लिखा गया तो कहीं समूचे मंदिर को दीयों से सजाया गया. ऐसा लग रहा था मानों दीपावली आ गई हो.
लोग दिखे भावुक
लोगों का कहना है कि इस दिन का इंतज़ार करते-करते आंखे पथरा गईं थीं. अब वो अपनी ज़िन्दगी में श्रीराम मंदिर निर्माण होते देख रहे हैं इसे सबसे बड़ा सौभाग्य मानते हैं.
मेरठ में 325 किलो तेल की अखंड ज्योति भी जलाई गईमेरठ में ऐसे-ऐसे नज़ारे देखने को मिल रहे हैं, जिसे देखकर आप यही कहेंगे लगता है अयोध्या यहीं बस गई है. यहां जगह-जगह हनुमान चालीसा का पाठ हो रहा है. जगह-जगह सुंदरकांड का पाठ हो रहा है और तो और मेरठ में ही 325 किलो तेल की अखंड ज्योति भी जलाई गई है. वहीं ग्रामीण इलाकों में नीम के पेड़ के नीचे सरोवर किनारे अगर कुछ सुनाई दे रहा है तो वो है रामधुन.
क्रान्ति की नगरी मेरठ के हर छोर से आवाज़ आ रही जय श्रीराम
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम. आजकल समूचे हिन्दुस्तान में यही धुन सुनाई दे रही है. क्रान्ति की नगरी मेरठ के भी हर छोर से यही आवाज़ आ रही है जयश्रीराम. गगोल तीर्थ पर एक शख्स सरोवर किनारे अकेले ही बैठकर सिर्फ राम धुन वाली बांसुरी बजाते हैं. बांसुरी बजाने वाले नरेंद्र सिंह राघव जी का कहना है कि रामधुन की बांसुरी बजाकर उनकी आत्मा तृप्त हो जाती है. राघव जी की बांसुरी से आजकल सिर्फ राम नाम का ही धुन निकल रही है.
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