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तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) ने न्यूज़ 18 से खास बातचीत में कहा बिहार की हालत काफी खराब है. यहां कोरोना वायरस की जांच काफी कम संख्या में की जा रही है.

पटना. बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) को लेकर एक तरफ जहां निर्वाचन अयोग (Election Commission) तैयारियों में जुटा है वहीं पक्ष- विपक्ष के बीच चुनाव कराए जाने को लेकर तकरार जारी है. इस बीच विरोधी दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज निर्वाचन आयोग में राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल ने पांच सूत्री मांगों की बाबत एक ज्ञापन भी मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को सौंपा. विपक्ष ने मांग की है कि बिहार में वर्चुअल रैली (Virtual rally) पर रोक लगाई जाए और चुनाव में आम लोगों की भागीदारी बड़े पैमाने पर सुनिश्चित की जाए. चुनाव आयोग से सभी राजनीतिक दलों को प्रचार प्रसार के लिए समुचित अवसर देने की भी मांग की गई है. प्रतिनिधि मंडल भाकपा माले, सीपीआई और हम पार्टी के नेता शामिल थे. वहीं मेमोरंडम पर राजद, रालोसपा समेत दूसरी पार्टियों के भी हस्ताक्षर थे.

तेजस्वी का नीतीश सरकार पर निशाना

इस बीच विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने न्यूज़ 18 से खास बातचीत में कहा बिहार की हालत काफी खराब हैं. यहां कोरोनावायरस की जांच काफी कम संख्या में की जा रही है. वीआईपी पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है, लेकिन अब तो अधिकारी भी लाचार नजर आ रहे हैं. तेजस्वी ने कहा इस महामारी के दौरान सरकार चुनाव कराना चाहती है तो लोग बूथ से सीधे श्मशान चले जाएंगे. सरकार लाशों के ढेर पर चुनाव कराना चाहती है सरकार.

विपदा में भी राजनीति कर रही सरकारतेजस्वी यादव ने सरकार पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा अभी सरकार को इस महामारी से निपटना चाहिए न कि राजनीति करनी चाहिए. सत्तारूढ़ दल लगातार वर्चुअल रैली और बैठक कर रही है जबकि अभी चुनाव नहीं होना चाहिए. जब भी होना चाहिए तो परंपरागत तरीके से चुनाव होना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को विपक्ष के साथ मिलकर काम करना चाहिए था जबकि इस आपदा की घड़ी में सरकार राजनीति कर रही है.

सुशील मोदी का तेजस्वी पर पलटवार

हालांकि विपक्ष के चुनाव आयोग को ज्ञापन सौंपने और तेजस्वी के बयान पर डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा, बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अभी तीन महीने से ज्यादा का समय है, इसलिए इस मुद्दे पर सोचने से ज्यादा कोरोना संक्रमण से निपटने पर ध्यान दिया जाना चाहिए. जो लोग इस पर लगातार बयानबाजी कर रहे हैं, वे चुनाव आयोग के विवेक पर अविश्वास कर रहे हैं. राजद को तो आयोग, ईवीएम, अदालत और केंद्रीय जांच एजेंसियों तक पर भरोसा नहीं है.

दाग धोना चाहता है विपक्ष

उन्होंने आगे कहा,  चुनाव में धनबल और बाहुबल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल कांग्रेस और राजद ने किया. जिनके राज में बिहार बूथ लूट और चुनावी हिंसा के लिए बदनाम था वे आज चुनाव में पारदर्शिता बरतने के लिए  चुनाव आयोग को ज्ञापन सौंप कर अपने दाग धोना चाहते हैं. ज्ञापन देने वाले बताएं कि बैलेट पेपर के पुराने तरीके से चुनाव कराने की मांग क्यों की जा रही है? मतपेटी से लालू का जिन्न निकलने का वह दौर क्या चुनाव की पारदर्शिता का प्रमाण था?



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