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नेपाली सेना (Nepali Army) के 53 जवान खलंगा पहुंच गए हैं. ये जवान 47 किलोमीटर शेष बची सड़क (Road) को बनाने का काम करेंगे. ये सड़क काली नदी (Kali River) के किनारे बनाई जा रही है.
अब नेपाल पिथौरागढ़ जिले से लगी अपनी सीमाओं को सुरक्षित करने में जुट गया है. आलम ये है कि इस इलाके में नेपाल ने लगातार 6 बीओपी बना डाली है. लेकिन अब जो जानकारी नेपाली सूत्रों के हवाले से मिल रही है. उसके मुताबिक नेपाल ने दार्चुला से तिंकर तक सड़क बनाने के लिए सेना को मैदान में उतार दिया है. तिंकर लिपुलेख के एकदम करीब है. इसी इलाके में ही भारत, नेपाल और चीन का ट्राई जंक्शन है.
दार्चुला से तिंकर तक वैसे तो नेपाल ने 2008 में ही सड़क बनाने का काम शुरू कर दिया था. लेकिन बीते 12 सालों में ये सड़क मात्र 40 किलोमीटर ही कट पाई है. सड़क निर्माण में सुस्ती को तोड़ने के लिए नेपाल सरकार ने 19 अप्रैल को शेष सड़क के निर्माण को सेना के हवाले करने का फैसला लिया था. 87 किलोमीटर लंबी सड़क पूरी तरह काली नदी के किनारे बननी है. जिससे नेपाल आसानी से भारत पर निगाह रख सकेगा.
जानकारी के मुताबिक नेपाली सेना की eight गाड़ियों में 53 सेना के जवान खलंगा पहुंच गए हैं. नेपाली सेना के ब्रिगेडियर रमेश गुरंग टीम की अगुवाई कर रहे हैं. सेना के जवान अपने साथ सड़क काटने के लिए आधुनिक मशीनें भी लाए हैं. नेपाल की ये सड़क भारत की लिपुलेख सड़क के समानांतर बननी है. नेपाल सरकार ने इस इलाके में 10 बीओपी बनाने की योजना बनाई है. इनमें से छह वजूद में आ चुके हैं, जबकि four जल्द ही तैयार हो जाएगा.
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