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मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता सबके पास है लेकिन वह चाहेंगे कि दूसरा पक्ष बातों को समझे.
हार-जीत के रूप में न देखें फ़ैसले को
चारधाम देवस्थानम बोर्ड की व्यवस्था को लेकर तीर्थ-पुरोहित और हक-हकूकधारियों के साथ कांग्रेस भी सड़कों पर उतरी थी. इस पर मुख्यंत्री ने कहा कि वे राजनीतिक विरोध पर कुछ नहीं कहना चाहते.
उन्होंने कहा कि चारधाम में श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है इसलिए यह व्यवस्था की गई है. उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट के फैसले को किसी की जीत-हार के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए. एक सवाल के जवाब में सीएम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता सबके पास है लेकिन वह चाहेंगे कि दूसरा पक्ष बातों को समझे.
पंडा-पुरोहितों का ख़्याल
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने यात्रा की व्यवस्थाओं को करीब से देखा है इसीलिए बोर्ड बनाया गया है. पंडा-पुरोहितों से विरोध छोड़ने की अपील करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार को उनकी चिंता है और उन्हीं को ध्यान में रखकर यह फैसला लिया गया है.
सीएम ने कहा कि साल 2004 में तत्कालीन सीएम नारायण दत्त तिवारी भी यही व्यवस्था चाहते थे लेकिन संभव नहीं हो पाया. उन्होंने चारधाम विकास परिषद बनाई लेकिन राज्य के 19 साल पूरे होने पर मैंने इस फैसले के बारे में सोचा. यह मंत्रिमंडल का फैसला है और उत्तराखंड के 19 साल के इतिहास में सबसे बड़ा सुधारात्मक फैसला है.
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