[ad_1]
पुष्पम प्रिया कहती हैं कि सुशांत एक बेहतरीन आदाकार तो थे ही, साथ ही वो साइंस और ऐस्ट्रोनॉमी में भी ब्रिलियंट थे. युवाओं के रोल मॉडल सुशांत को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए पटना के प्लेनेटेरियम का नामकरण उनके नाम पर करना सार्थक होगा.
पुष्पम प्रिया के खत का सार संक्षेप
स्वर्गीय सुशांत सिंह राजपूत शानदार एक्टर, धुनी, उत्साही ऐस्ट्रोनॉमर! बहुमुखी बिहारी प्रतिभा का एक और उदाहरण. वे पटना के इंदिरा गांधी प्लेनेटेरियम का नाम “एसएसआर प्लेनेटेरियम” करें. विलियम हर्शेल की तरह स्वर्गीय राजपूत भी कला और विज्ञान के यूनिफिकेशन के गजब प्रतीक हैं. वो NASA जाते हैं, CERN जाते हैं, उनको दिलचस्पी है कि “यूनिवर्सल लॉ ऑफ फिजिक्स” की खोज की तैयारी कहां तक पहुंची! वे उपनिषद और धर्मसूत्र खंगालते हैं और रामानुज की तरह आधुनिक विज्ञान के “टाइम-स्पेस” द्वैधता को भारतीय “देश-काल” के नियमों से जोड़ने का प्रयास करते हैं. अफसोस की विलियम हर्शेल की तरह एक नए यूरेनस की खोज करने को वे नहीं रहे, और उनका बेहद सोफिस्टिकेटेड टेलिस्कोप उदास रखा होगा. परंतु अगर आज वह होते तो देश और बिहार के और सुशांतों को आगे लाने के लिए कुछ सार्थक करते.
स्टेट के पॉलिसीमेकर का यह दायित्व है कि वह उनके सपनों को पूरा करे. प्लेनेटेरियम एक ऐसी जगह होती है जो बच्चों को विज्ञान और मनोरंजन एक साथ देती है जिसके सबसे बड़े प्रतीक सुशांत जी थे. वैसे तो पटना के प्लेनेटेरियम का नाम महान आर्यभट्ट या डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह जी के नाम पे बहुत पहले कर देना चाहिए था (अब उनके नए स्मारक बनेंगे तरेगना और आरा में चार महीने बाद), लेकिन अब जबकि ऐसा नहीं किया गया है तो नयी पीढ़ी को साइंस और ऐस्ट्रोनॉमी में दिलचस्पी बढ़ाने के लिए और पटना के ब्रिलियंट युवा स्वर्गीय सुशांत जी को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए पटना के प्लेनेटेरियम का नया नामकरण उनके नाम पर करना सार्थक होगा.इंदिरा जी एक महान राजनेता थीं, लेकिन उनके नाम पर पहले से काफी स्मारक व संस्थान हैं, और जैसा कि हम उनको जानते हैं, वे स्वयं आज होतीं तो खुद इस पर बिना अनुरोध के निर्णय ले लेतीं. यही बात मैंने बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री को लिखा है. आशा है वे इस पर त्वरित निर्णय लेंगे, नहीं तो चार महीने के बाद तो यह होना ही है.
[ad_2]
Source