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एसएसपी राजीव मिश्रा (SSP Rajiv Mishra) ने कहा कि डोभी चेक पोस्ट (Dobhi test publish) पर होमगार्ड के जवान परिवहन विभाग के अंदर काम करते हैं. पुलिस विभाग की यहां किसी तरह की भूमिका नहीं रहती है.
अवैध वसूली का इस वायरल वीडियो पर लोग तरह-तरह के कमेंट कर रहें हैं. इसमें स्थानीय कर्मचारी से लेकर जिला और राज्य के अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों के खिलाफ टिपप्णी कर रहें हैं. इस मामले के सामने आने के बाद डीएम अभिषेक सिंह ने जिला परिवहन पदाधिकारी जनार्दन प्रसाद को तत्काल ही आरोपी कर्मचारियों को हटाने का निर्देश दिया है. इसके साथ डीएम ने डीडीसी और एएसपी को जांच कर जल्द रिपोर्ट देेेने का निर्देश दिया है. बकौल डीएम जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.
गौरतलब है कि इस तरह की शिकायत पहले भी आयी थी जिसमें कई कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई हुई है. वहींं, इस मामले पर एसएसपी राजीव मिश्रा ने कहा कि डोभी चेक पोस्ट पर होमगार्ड के जवान परिवहन विभाग के अंदर काम करते हैं. पुलिस विभाग की यहां किसी तरह की भूमिका नहीं रहती है.
इस मामले में डीटीओ जनार्दन प्रसाद ने बताया के आरोपी को कर्मचारी को वहां से हटाने का निर्देश दिया है और संबंधित होमगार्ड जवान को हटाने के लिए कमांडेंट को लिखा गया है. न्यूज़ 18 से बात करते हुए डीटीओ ने कहा कि वे विभागीय स्तर से लगातार निगरानी कर रहे हैं और उनके कार्यकाल में डोभी चेक पोस्ट पर सरकार के राजस्व में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है. 2018 में जब वह यहां आए थे तो उस समय बिहार सरकार को 17 करोड़ का सालाना राजस्व मिला था जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में सरकार को रिकॉर्ड 53 करोड़ का राजस्व मिला है.
बता दें कि डोभी चेकपोस्ट कोलकाता-दिल्ली को जोड़ने वाली एनएच-2 पर अवस्थित है. यह मार्ग जीटी रोड से प्रसिद्ध है. इस चेक पोस्ट पर क्षमता से ज्यादा समान ले जाने वाले ट्रकों की जांच का प्रावधान है. जांच से बचाने के नाम पर ट्रक चालकों से 500 से लेकर 10 हजार तक की वसूली की जाती है. वहीं, ट्रक में माल क्षमता से बहुत ज्यादा रहने पर वसूली का रकम इससे भी ज्यादा होती है.
बताया जाता है कि वसूली करने वाले कर्मचारियों के तार बड़े-बड़े अधिकारियों तक रहते हैं. मामला ज्यादा हाइलाइट होने पर कुछ दिन सख्ती की जाती है और बाद में वसूली फिर से शुरू हो जाता है. जाहिर है चेक पोस्ट पर इंट्री माफिया भी कई तरीके से सीधे सरकारी राजस्व का नुकसान पहुंचाते हैं. इसमें ‘नो इंट्री’ माफिया और बड़े अधिकारिय़ों के बीच मिलीभगत का आरोप भी लगता है.
कहा जाता है कि विशेष कोडिंग के जरिये बड़ी संख्या में ओवरलोडेड ट्रकों को पार कराया जाता है. इस ‘नो इंट्री’ माफिया की कारगुजारी सड़क से सदन तक में उठायी जा चुकी है, जिसके बाद सरकार ने कई तरह की कार्रवाई करनेे का आश्वासन दिया था. इसके बावजूद यहां इस तरह की वसूली और सरकारी राजस्व को नुकशान पहुुंचाने का धंधा चल रहा है.
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