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जीतनराम मांझी (Jeetanram Manjhi) की जनता दल युनाइटेड (जेडीयू) और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के साथ डील लगभग पक्की हो गई है. मांझी के एनडीए (NDA) में शामिल होने के बीच सिर्फ नीतीश कुमार के साथ एक मीटिंग होनी बाकी है
मांझी की महागठबंधन में कहां अटकी बात?
2019 लोकसभा चुनाव में महागठबंधन को मिली करारी हार के बाद से ही मांझी आरजेडी पर लगातार सवाल उठाते रहे हैं. जीतनराम मांझी ने लोकसभा से पहले भी कोर्डिनेशन कमेटी की मांग की थी ताकि सभी फैसले साथ में लिए जा सकें और एक मंच पर सभी घटक दल हों, पर नतीजा सबके सामने सामने है. बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मांझी चाहते थे कि कोऑर्डिनेशन कमेटी बने ताकि सीटों का बंटवारा और नेता का फैसला हो पर आरजेडी ने इसे तवज्जो नहीं दिया. महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी ने खुलकर यह घोषणा कर दी कि चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा तेजस्वी यादव होंगे. साथ ही सीटों का बंटवारा हो या कोई भी फैसला, वो आरजेडी के अनुसार ही लिया जाएगा.
जीतनराम मांझी के लगातार उठाए जा रहे मांगों के बावजूद तेजस्वी का एक बार भी उनसे नहीं मिलना उनकी नाराजगी की बड़ी वजह मानी जा रही है. मांझी के मोह भंग होने का दूसरा बड़ा कारण है कि तेजस्वी का उन्हें अपनी पार्टी (आरजेडी) के नेताओं से बात करने की सलाह देना. मांझी ने इसे अपनी तौहीन माना. तेजस्वी ने मांझी से बातचीत करने के लिए फतुहा के अपने प्रखंड अध्यक्ष को आगे कर दिया.
कोऑर्डिनेशन कमिटी पर आरजेडी के असहयोगात्मक रवैये और अपनी उपेक्षा से नाराज जीतनराम मांझी ने महागठंधन ने निकलने का मन बना लिया है
RJD को साधने की कांग्रेस की हैसियत नहीं
जीतनराम मांझी के गठबंधन में बने रहने के लिए कांग्रेस के राज्य प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने तेजस्वी और मांझी से मिलकर उनके बीच सुलझ-समझौते की कोशिश की, लेकिन वो इसमें नाकाम साबित रहे. कांग्रेस खुद इस स्थिति में नही है कि आरजेडी से बराबरी के तौर पर बात कर सके. लोकसभा चुनाव में फजीहत के बाद पार्टी खुद इस कोशिश में लगी है कि कैसे उसे ज्यादा सीटें मिले.
मांझी का गठबंधन में मोह भंग होने की बात सामने आते ही जेडीयू नेताओं ने खुलकर आमंत्रण देकर मांझी को इशारा दे दिया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले संजय झा, नीरज कुमार हों या फिर पार्टी के प्रवक्ता राजीव रंजन, सबने खुलकर बात कही कि अगर जीतनराम मांझी एनडीए में शामिल होते हैं तो उनका स्वागत होगा. विधानसभा चुनाव से पहले अपने खेमे को मजबूत बनाने की रणनीति में जेडीयू नेताओ ने पूरी प्लेटफॉर्म तैयार कर दी है.
चिराग की काट में मांझी को एडजस्ट करेंगे नीतीश
हाल के समय में जिस तरह से चिराग पासवान खुलकर नीतीश कुमार के विरोध में अपनी बात रख रहे हैं उससे नीतीश काफी नाखुश माने जा रहे हैं. चिराग पासवान नीतीश कुमार के कामों पर सवाल खड़े करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ रहे. ऐसे में माना जा रहा है कि नीतीश कुमार जीतनराम मांझी को अपने पाले में लाकर एडजस्ट करना चाहते हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जेडीयू चाहती है कि सीटों के बंटवारे में चिराग पासवान को बीजेपी अपने हिस्से से सीट दे और संभालने की जिम्मेदारी भी संभाले. वहीं यदि जीतनराम मांझी को जेडीयू अपने पाले में लाती है तो जेडीयू उन्हें अपने कोटे से सीट देगी.
महादलित USP को बनाये रखना चाहते हैं नीतीश
नीतीश कुमार महादलित वर्ग बना कर और उनके लिए कार्यक्रम तैयार कर अपने पाले में लाने में पहले भी सफल रहे हैं. दलितों की बात करें तो पासवान को छोड़कर दलित वर्ग का बड़ा हिस्सा जो आज महादलित में शामिल है उसे नीतीश कुमार प्रभावित करते रहे हैं. जीतनराम मांझी को अपने खेमे में लाकर वो अपनी महादलित वाली USP को कायम रखना चाहते हैं. चुनाव के दौरान अगर चिराग पासवान का यही रुख रहा तो नीतीश कुमार के लिए जीतनराम मांझी बड़ा कार्ड साबित हो सकते हैं.
लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यों पर लगातार टीका-टिप्पणी कर रहे हैं जिसे लेकर जेडीयू काफी असहज है (फाइल फोटो)
जीतनराम मांझी के मौजूदा रुख के बाद जेडीयू का खुल कर उन्हें ऑफर देना पार्टी के रणनीति का हिस्सा है. सूत्रों की मानें तो जीतनराम मांझी और नीतीश कुमार के बीच लगभग बात पक्की हो गई है. नीतीश कुमार के साथ सिर्फ एक मीटिंग मांझी को जेडीयू के पाले में लाने के लिए काफी है. नीतीश कुमार के साथ यह मीटिंग 10 जुलाई के बाद होने की संभावना थी पर सीएम आवास में कोरोना पॉजिटिव केस मिलने, और फिर से एक सप्ताह के लॉकडाउन लागू होने से माना जा रहा है कि इसके खत्म होते ही उनके बीच एक मीटिंग होगी और मांझी जेडीयू (एनडीए) के पाले में होंगे.
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