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बताया जाता है कि 1995 में हुए गेस्ट हाउस कांड में मायावती (Mayawati) की जान बचाने में लालजी टंडन (Lalji Tandon) की भी बड़ी भूमिका थी.
बताया जाता है कि 1995 में हुए गेस्ट हाउस कांड में मायावती की जान बचाने में लालजी टंडन की भी बड़ी भूमिका थी. जिसके बाद से मायवती लालजी टंडन को अपना भाई मानने लगी थीं और हर रक्षाबंधन को उन्हें राखी भी बांधती थीं. मायावती और लालजी टंडन का बहन-भाई का रिश्ता काफी चर्चा में रहा था. बता दें कि लालजी टंडन को उत्तर प्रदेश की राजनीति में कई अहम प्रयोगों के लिए भी जाना जाता था.
लालजी टंडन को राखी बांधते मायावती (file picture)
90 के दशक में प्रदेश में बीजेपी और बसपा की गठबंधन सरकार बनाने में भी उनका अहम योगदान माना जाता है. इसके बाद लालजी 1996 से 2009 तक लगातार तीन बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. बसपा सुप्रीमो मायावती उन्हें अपने बड़े भाई की तरह मानती थीं और राखी भी बांधा करती थीं. 1997 में वह प्रदेश के नगर विकास मंत्री रहे. लालजी टंडन के निधन पर मायावती ने ट्वीट कर अपनी संवेदना व्यक्त की है.टंडन जी के निधन पर मायावती ने लिखा, ” मध्यप्रदेश के गवर्नर व यूपी में बीजेपी की सरकार में कई बार वरिष्ठ मंत्री रहे श्री लालजी टण्डन, जो काफी सामाजिक, मिलनसार व संस्कारी व्यक्ति थे, उनका इलाज के दौरान आज लखनऊ में निधन होने की खबर अति-दुःखद व उनके परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदना.”
मध्यप्रदेश के गवर्नर व यूपी में बीजेपी की सरकार में कई बार वरिष्ठ मंत्री रहे श्री लालजी टण्डन, जो काफी सामाजिक, मिलनसार व संस्कारी व्यक्ति थे, उनका इलाज के दौरान आज लखनऊ में निधन होने की खबर अति-दुःखद व उनके परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदना।
— Mayawati (@Mayawati) July 21, 2020
1962 से शुरू किया सफर
लखनऊ के रहने वाले लालजी टंडन बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में शुमार थे. वह कई बार उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे थे. टंडन 1962 में लखनऊ नगर निगम के सदस्य चुने गए थे और नगर निगम में ही वह भारतीय जनसंघ सभासद दल के नेता रहे थे. इसके बाद भारतीय जनसंघ की लखनऊ इकाई के अध्यक्ष रहने के बाद वह आपातकाल के दौरान 19 महीने तक जेल में भी रहे.
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