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नीतीश कुमार (Nitish Kumar) जनता को ये बताने में लग गए हैं कि उनकी सरकार ने बिहार में विकास के इतने काम लिए है, जितना आज तक नहीं हुआ. वे बताते हैं कि पेरिस के एफिल टावर से भी ज्यादा स्टील का उपयोग बापू सभागार में हुआ है.
विकास का हिसाब दे रहे सीएम
नीतीश यह भी बताना नहीं भूल रहे हैं कि जब 2005 में उन्होंने बिहार की गद्दी सम्भाली थी, तब पिछली सरकार का बजट कितना था और आज उनकी सरकार का बजट कितना हो गया है. कोरोना और बाढ़ के बीच नीतीश कुमार अचानक से जनता को ये बताने में जोर-शोर से लग गए हैं कि उनकी सरकार ने बिहार में विकास के इतने काम लिए है, जितना आज तक बिहार में नहीं हुआ. हाल तो ये है कि नीतीश विकास की चर्चा करते-करते पेरिस के एफिल टावर से भी ज्यादा स्टील का उपयोग बापू सभागार में हुआ है – ये बताना भी जनता को जरूरी समझने लगे हैं.
नीतीश की सक्रियता पर विपक्ष की निगाहेंफिलहाल ये कोई नही जानता कि बिहार में चुनाव कब होगा. लेकिन नीतीश कुमार के अचानक सक्रिय हो जाने से विरोधी दलों की निगाहें भी चौकस हो गई हैं. नीतीश कुमार बहुत दिनों के बाद एक बार फिर विकास के अपने एजेंडे को आगे रख पिछली सरकार के कामों से तुलना कर अपने विकास के कार्यों को जनता को बताकर साफ इशारा कर रहे हैं कि इस बार का चुनाव भी वे विकास के नाम पर ही लड़ेंगे. इस बीच जेडीयू नेता और मंत्री नीरज कुमार ने साफ कर दिया कि चुनावी एजेंडा सिर्फ और सिर्फ विकास का मुद्दा ही रहेगा.
15 साल बनाम 15 साल
साफ़ है विकास ही वह मुद्दा है जिसकी चर्चा करने से विरोधी पार्टी भी परेशान होती है. यही वजह है कि बाढ़ और कोरोना को लेकर विरोधी दल सरकार पर हमला बोल रहे हैं. लेकिन जब सवाल विकास के मुद्दे पर पूछा जाता है तो आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी भी 15 साल बनाम 15 साल की चर्चा तो करते हैं, लेकिन विरोधी दल अपने शासन काल के 15 साल में विकास की जगह सामाजिक न्याय की बात करने लगते हैं.
बीजेपी भी विकास के मुद्दे पर सहमत
वही जेडीयू की सहयोगी पार्टी बीजेपी भी विकास के मुद्दे पर ही जनता के बीच जाने की बात कह रही है. भाजपा विधायक नितिन नवीन कहते हैं कि केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार ने बिहार की जनता के लिए विकास के कई काम किए हैं, चाहे स्पेशल पैकेज हो या केंद्र की विकास की योजना, बिहार को हमेशा तवज्जो मिलता रहा है. वही नीतीश कुमार भी विकास के प्रति विशेष रुचि रखते हैं. जाहिर है सत्ताधारी दल को भी पता है कि विकास ही वह एजेंडा है, जिस पर आमने-सामने होने पर विरोधी दल के पास बहुत कुछ मौका नहीं रहता है कि वे सरकार पर हमला बोल सके. क्योंकि विकास के मुद्दे पर ही 2005 में जनता ने उन्हें झटका देकर सत्ता से बाहर कर दिया था. अब इस बार भी जनता के बीच विकास का ही मुद्दा उठता है तो जनता इस मुद्दे को किस रूप में लेती है ये देखना दिलचस्प होगा.
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