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एफआईआर में दर्ज शिकायत के मुताबिक एसएसआई बिजेंद्र सिंह को मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर मुख्य अभियुक्त विकास दुबे (Vikas Dubey) के घर से एक मुकदमे में वांछित अपराधियों को पकड़ने गए थे.
एफआईआर में दर्ज शिकायत के मुताबिक एसएसआई बिजेंद्र सिंह को मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर मुख्य अभियुक्त विकास दुबे के घर से एक मुकदमे में वांछित अपराधियों को पकड़ने गए थे. पुलिस ने विकास दुबे और एक अन्य को पकड़ लिया और थाने ले जाने के लिए अपनी जीप में बैठा भी लिया. लेकिन इसी बीच अवैध हथियारों से लैस बदमाशों के साथ विकास दुबे की मां, पत्नी और भाई पहुंच गए.
एफआईआर की कॉपी
बदमाशों ने पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट कर विकास और उसके साथी को छुड़ा लिया. एसएसआई की ओर से तब दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार विकास दुबे ने जान से मारने की धमकी भी दी थी. इस घटना में पुलिसकर्मियों की वर्दी भी फट गई थी. एसएसआई की शिकायत में साफ कहा गया है कि आरोपी बिकरू गांव का ग्राम प्रधान है और इसके आतंक, गुंडागर्दी के कारण गांव को कोई भी व्यक्ति गवाही देने को तैयार नहीं है.
5 मई 1998 को दर्ज एफआईआर की कॉपी
बता दें कि 2 जुलाई की रात विकास दुबे ने अपने गुर्गों के साथ मिलकर दबिश देने पहुंची पुलिस टीम पर हमला किया था. इस हमले में क्षेत्राधिकारी देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. इस घटना के बाद विकास दुबे अपने गुर्गों के साथ फरार हो गया था. 9 जुलाई को ही उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर से विकास दुबे को पकड़ लिया गया. उसे कानपुर पुलिस और एसटीएफ की टीम कानपुर ला रही थी, तभी गाड़ी पलट गई और विकास दुबे हथियार छीनकर भागने लगा. पुलिस की जवाबी कार्रवाई में विकास दुबे भी मारा गया.
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