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सरकारी अधिकारियों ने जमीन दलालों के साथ साठ-गांठ कर NH-74 के जमीन अधिग्रहण मामले में गड़बड़ी की. खेती लायक जमीन खरीदकर उसे कागज पर गैर-कृषि जमीन के रूप में दिखाकर 300 करोड़ के फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया.
ED ने जिन चारों प्रॉपर्टी को लेकर पजेशन नोटिस जारी किया था, उसमें से एक में आरोपी दिनेश प्रताप सिंह का आवास है. यह संपत्ति उत्तराखंड में है. इसके अलावा ईडी ने यूपी के सीतापुर में खेती की जमीन को भी अटैच करने का नोटिस भेजा था. ट्रिब्यूनल कोर्ट में आरोपी अफसर की तरफ से वकील पीके चौधरी और प्रशांत पांडे की दलीलों के आधार पर रोक का आदेश जारी किया गया. सुनवाई के दौरान अदालत ने ईडी से आरोपी दिनेश प्रताप सिंह से जुड़ी मनी-ट्रेल की रिपोर्ट भी मांगी, लेकिन ED की तरफ से ऐसा कोई सबूत नहीं दिया गया. आपको बता दें कि आरोपी अफसर अभी काशीपुर में SDM हैं.
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क्या था मामलावर्ष 2011-14 के बीच उत्तराखंड के उधमसिंह नगर से गुजरने वाले NH-74 भूमि अधिग्रहण घोटाला चर्चा में आया था. बताया गया कि इस मामले में उत्तराखंड में तैनात 10 से ज्यादा सरकारी अधिकारियों और जमीन दलालों ने अधिग्रहण में गड़बड़ियां की थीं. अनुमान है कि इसमें 300 करोड़ रुपए से ज्यादा का घोटाला किया गया. जांच के दौरान घोटाले में कई पीसीएस अधिकारियों की संलिप्तता भी सामने आई, तो तफ्तीश का काम ED को सौंपा गया. इस मामले में एक SIT का भी गठन किया गया था, वह भी भूमि अधिग्रहण में गड़बड़ी की जांच कर रही है.
कुमाऊं कमिश्नर ने किया था खुलासा
NH-74 भूमि अधिग्रहण घोटाले का खुलासा कुमाऊं के तत्कालीन कमिश्नर डी. सेंथिल पांडियन ने किया था. कमिश्नर ने शासन को इस संबंध में दी गई जानकारी में कहा था कि कई सरकारी अधिकारियों ने जमीन दलालों के साथ मिलकर एनएच के जमीन अधिग्रहण मामले में गड़बड़ी की है. दलालों से साठ-गांठ कर खेती लायक जमीन खरीदी गई, जिसे कागज पर गैर-कृषि जमीन के रूप में दिखाकर इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया. दलालों और अधिकारियों ने आपसी साठ-गांठ कर कई किसानों को जमीन के एवज में आठ से दस गुणा मुआवजा दिलवाया था.
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